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Showing posts from December, 2019

समाज कार्य की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है

समाज कार्य की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है  समाज कार्य एक ऐसा विषय है जिसमें विभिन्न प्रकार की अवधारणाओं का उपयोग करके समाज कार्य की विषय वस्तु का निर्माण किया जाता है समाज में लोगों की सहायता करने के लिए इन अवधारणाओं की समझ एवं ज्ञान का होना एक सामाजिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक माना जाता है इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा या तो सेवा प्रदान करने के लिए किया जाता है अथवा समाज कार्य व्यवसाय कैसे इन अवधारणाओं से भिन्न एवं विशिष्ट है इसे स्थापित करने के लिए किया जाता है । समाज कार्य एवं अन्य अवधारणाएं - समाज कार्य में सेवाएं प्रदान करते समय अनेक प्रकार की अवधारणाओं का प्रयोग किया जाता है अतः एक सामाजिक कार्यकर्ता को इन अवधारणाओं का ज्ञान होना आवश्यक है इन्हें इस तथ्य का भी ज्ञान होना आवश्यक है कि यह अवधारणाएं किस सीमा तक समाज कार्य के समान है एवं कहां तक इन दोनों में भिन्नता है इनमें से कुछ अवधारणाएं निम्नलिखित है परोपकार एवं समाज कार्य - परोपकार विभिन्न धर्मों की मान्यताओं में निहित रहा है विशेषकर दान एवं इच्छा देना । वेब स्टर इनसाइक्लोपीडिया मैं परोपकार शब्द की परिभाषा

सामाजिक परम्पराएँ एवं प्रथाएँ

सामाजिक परम्पराएँ एवं प्रथाएँ  मानव को अपने जीवन काल में दो प्रकार की विरासत मिलती है एक प्राणीशास्त्रीय [ Biological ] , जो उसे शारीरिक रचना व लक्षण प्रदान करती है और यह माता पिता के वाहकाणुओं ( Genes ) के द्वारा मिलती है इसे हम वंशानुक्रमण ( Heredity ) कहते है दूसरी समाज द्वारा प्रदत्त सामाजिक विरासत (Social Heritage ) है जो व्यक्ति को जीवन यापन के लिए अनेक भौतिक और आभौतिक वस्तुएँ प्रदान करती है घड़ी , पेन, रेड़ियो , टेलीविजन , पंखा , वस्त्र , आदि हजारो प्रकार की वस्तुएं भौतिक विरासत है धर्म , विचार , दर्शन , प्रथाएं , नियम , रीतिरिवाज आदि अभौतिक सामाजिक विरासत है | सामाजिक विरासत का अभौतिक पक्ष ही परम्परा कहलाता है | Tradition ( परम्परा ) शब्द की उत्पत्ति Tradera शब्द से हुई है जिसका अर्थ हस्तान्तरित करना ( Handing down or transmission ) ' Tradition का संस्कृत शब्द ; परम्परा ' है जिसका अर्थ है ' ऐतिह " अर्थात विरासत में मिलना | इस प्रकार परम्परा का सम्बन्ध उन बातों से है जो अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही हों और जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान

सामाजिक कार्यकर्त्ता की भूमिका एवं निपुणताएं

सामाजिक कार्यकर्त्ता की भूमिका एवं निपुणताएं  समाज कार्य व्यवसाय के अंतर्गत सामाजिक कार्यकर्ता ही वह महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके ऊपर समस्याओं के समाधान का संपूर्ण उत्तरदायित्व होता है सामाजिक कार्यकर्ता समाज कार्य व्यवसाय में शिक्षित एवं प्रशिक्षित व्यक्ति होता है उसे मानव व्यवहार संस्कृति मूल्यों तथा सामाजिक समस्याओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे वह अपनी भूमिकाओं का निर्वाह कर सकें एवं उत्तरदायित्व को पूरा कर सकें।      सामाजिक कार्यकर्ता को सेवा प्रदान करने के दौरान विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं का निर्वाह करना पड़ता है जो परिस्थितियों तथा आवश्यकता ओं के अनुसार अलग अलग ढंग से निभाई जाती हैं इसलिए कार्यकर्ता कभी मार्ग दर्शक कभी मध्यस्थ तथा कभी सुविधा प्रदाता की भूमिका का निर्वाह कर व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है सामान्यतः ऐसा कहा जाता है और विश्वास भी किया जाता है की प्रभावशाली समाज कार्य एक कार्यकर्ता के ही माध्यम से ही किया जाता है कार्यकर्ता अपनी सहायक की भूमिका में समा

सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत एवं प्रकार

सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत  एवं  प्रकार सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत -   सामुदायिक संगठन कार्य समाज कार्य की प्राथमिक पद्धतियों मैं एक है . समाज कार्य की समानता के साथ साथ समाज कार्य के समान इसके भी कुछ सिद्धांत है जिनका पालन सामाजिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक है . इन सिद्धांतों के प्रयोग के बिना सामुदायिक संगठन कार्य के लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है, इसलिए इन सिद्धांतों का ज्ञान सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है . ये  सिद्धांत सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता को लक्ष्य प्राप्ति के लिए सुलभ एवं आसान तरीके बताते हैं।  तथा अनुभव शील एवं सिद्ध ज्ञान से कार्यकर्ता का मार्गदर्शन करते हैं।  विभिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न सिद्धांतों का उल्लेख किया है लेकिन यहाँ उन कुछ प्रमुख सिद्धांतों की ही चर्चा की जाएगी जो सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता के लिए आवश्यक है। सिद्धांत का अर्थ प्रकृति एवं विषय क्षेत्र - सामुदायिक संगठन के सिद्धांतों का वर्णन करने से पहले आवश्यक है कि हम सिद्धांत के अर्थ को समझें तथा सामुदायिक संगठन में इसका क्या महत्व है उस पर वि

सामुदायिक संगठन का दर्शन एवं अवधारणा

सामुदायिक संगठन का दर्शन एवं अवधारणा  सामुदायिक संगठन समाज कार्य के प्रमुख तरीकों में से एक है ठीक वैसे ही जैसे वैयक्तिक सेवा कार्य समाज कल्याण प्रशासन तथा समाज कार्य शोध।जहां वैयक्तिक कार्यकर्ता का संदर्भ व्यक्ति से होता है और समूह कार्यकर्ता का संदर्भ समूह से होता है वैसे ही सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता समुदाय के संदर्भ में काम करता है वैयक्तिक कार्यकर्ता का उद्देश्य व्यक्ति सेवार्थी को अपनी समस्याओं की पहचान करने , तथा ऐसा करते हुए व्यक्ति के एकीकरण के लिए स्वयं को और स्वयं की क्षमता की समझ को बढ़ाने में मदद करना होता है। इसी प्रकार सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता संपूर्ण समुदाय के साथ सेवार्थी के रूप में काम करता है। संक्षेप में सामुदायिक संगठन शब्द सामुदायिक समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से समुदाय के जीवन में मध्यस्थता के लिए प्रयुक्त समाज कार्य के 1 तरीके को परिभाषित करने के लिए किया जाता है। सामुदायिक संगठन का दर्शन - मानवतावादी दृष्टिकोण से देखा जाए तो समुदायों के साथ काम करना इतना ही पुराना है जितना कि स्वयं समाज। सामुदायिक कार्य का एक ना एक रूप हमेशा विद्यमान रहा है, किंतु

सामुदायिक विकास की अवधारणा एवं उद्देश्य

सामुदायिक विकास की अवधारणा एवं उद्देश्य सामुदायिक विकास आधुनिक सदी की एक अत्यंत प्रचलित व महत्वपूर्ण अवधारणा है । एक कार्यक्रम के रूप में इसका प्रसार विगत कई वर्षों से आरंभ हुआ है आज सामुदायिक विकास को विशेष रूप से अविकसित देशों में अपनाया गया है सामुदायिक विकास कार्यक्रम को जनता का समन्वित विकास करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा और आर्थिक विकास से संबंधित गतिविधियां जैसे कृषि पशुपालन ग्रामोद्योग और संचार साधन तथा समाज कल्याण कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सामुदायिक विकास में दो शब्द समुदाय और विकास निहित हैं जिनके बारे में कुछ जानना जरूरी है         शाब्दिक रूप से सामुदायिक विकास का अर्थ समुदाय के विकास या प्रगति से है।सामुदायिक विकास को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके द्वारा स्वयं लोगों के प्रयासों को सरकारी अधिकारियों के प्रयासों के साथ मिलाकर समुदायों की आर्थिक और सांस्कृतिक दशाओं को सुधारा जा सके और इन समुदायों को राष्ट्रीय जीवन में समन्वित किया जा सके जिससे कि वह राष्ट्रीय प्रगति में पूर्णतया योगदान कर सकें।       सामुदायिक विकास उन लो

समाज कार्य के प्रमुख प्रारूपों एवं सिद्धांतों का वर्णन कीजिए

समाज कार्य के प्रमुख प्रारूपों एवं सिद्धांतों का वर्णन कीजिए समाज कार्य व्यवसाय के अंतर्गत समस्याओं का वैज्ञानिक ढंग से समाधान किया जाता है अतः इसमें व्यक्ति के व्यवहारों को समझने के लिए तथा सामाजिक समस्याओं का वैज्ञानिक निदान करने के लिए विशिष्ट प्रारूपों एवं सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है एक व्यवसाई कार्यकर्ता से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इन प्रारूपों एवं सिद्धांतों का समुचित शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्राप्त करके व्यक्ति की समस्याओं को समझने एवं उन्हें कम करने में उनकी सहायता करें समाज कार्य के प्रारूप - समाज कार्य में उपचार की प्रक्रिया के विकास में धीरे-धीरे अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन होता गया है इन सिद्धांतों का आधार विभिन्न समाज वैज्ञानिकों के विचार हैं जो समय-समय पर सामने आते रहते हैं मनोविज्ञान मनोरोग विज्ञान समाजशास्त्र के सिद्धांतों से प्रभावित होकर समाज कार्य के अभ्यास कर्ताओं ने अपने क्षेत्रीय अनुभव और अनुसंधान कार्य के प्रयोग के बाद इन सिद्धांतों को विकसित किया है इन सिद्धांतों के विकास में उस समय की प्रचलित विचारधाराओं का प्रभाव भी देखने को मिलता है विभिन्न विचार