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Showing posts from November, 2019

सामाजिक नियंत्रण की अवधारणा एवं परिभाषा,आवश्यकता तथा महत्त्व

सामाजिक नियंत्रण की अवधारणा  एवं परिभाषा, आवश्यकता तथा महत्त्व      सामाजिक नियंत्रण की अवधारणा का समाजशास्त्रीय साहित्य में महत्त्व पूर्ण स्थान है | सामाजिक संरचना में दृढ़ता एवं समन्वय रखने वाली शक्तियों के सन्दर्भ में जितना साहित्य रचा गया उसे सामाजिक नियंत्रण के शीर्षक के अंतर्गत रखा गया है | मैकाइवर कहते है की समाजशास्त्रीय साहित्य का एक बहुत बड़ा भाग सामाजिक नियंत्रण का विवेचन करता है | अमरीकन समाज शास्त्री ई.ए. रॉस पहला व्यक्ति था जिसने सामाजिक नियंत्रण बिषय पर 1901 में अपनी कृति Social Control में व्यवस्थित विचार व्यक्त किये है |                                     सामाजिक नियंत्रण क्र द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों को समाज के स्थापित प्रतिमानों के अनुरूप ढालने का प्रयास  किया जाता है | इस प्रकार सामाजिक नियंत्रण वह विधि है जिसके द्वारा एक समाज अपने सदस्यों के व्यवहारों का नियमन करता है | सामाजिक  नियंत्रण के द्वारा एक समाज अपने सदस्यों को उनकी निर्धारित भूमिकाएं निभाने , नियमो का पालन करने एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है , प्रत्येक समाज अपने सदस्यों से यह अपेक्षा

सामाजिक प्रतिमान - जनरीतियाँ , रूढ़ियाँ ( लोकाचार )

सामाजिक प्रतिमान - जनरीतियाँ , रूढ़ियाँ ( लोकाचार )  जनरीतियाँ प्रथाएँ एवं रूढ़ियाँ कुछ ऐसे सामाजिक प्रतिमान हैं जिनका विकास मानव समाज में व्यवस्था एवं नियंत्रण बनायें रखने के लिए किया जाता हैं । अन्य शब्दो में सामाजिक प्रतिमान समाज मे व्यवस्था , स्थिरता एवं एकरूपता कायम रखते हैं । ये हमें समाज एवं संस्कृति से अनुकूलन करने में सहयोग देते हैं । समाज मे अनेक प्रकार के प्रतिमान पाये जाते हैं जिन में से कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण हैं तो कुछ कम । इनका महत्व बताते हुए बीरस्टीड लिखते हैं समाज स्वयं एक व्यवस्था हैं जिसका अस्तित्व सामाजिक प्रतिमानों से ही सम्भव हो पाता हैं , इस प्रकार सामाजिक प्रतिमान ही सामाजिक संगठन का निचोड़ हैं । सामाजिक शिक्षण , अभ्यस्तता , उपयोगिता , समूह , दण्ड , और पुरस्कार के द्वारा हम प्रतिमानों का अनुपालन करते हैं और धीरे धीरे ये हमारे व्यक्तित्व के अंग बन जाते हैं तथा व्यक्ति के सामने इनके अनुरूप आचरण करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता हैं । यहां हम जनरीतियों , रूढ़ियों , एवं प्रथाओं पर विचार करेंगें । जनरीतियाँ ( लोकरीतियाँ ) इस शब्द का सर्व प्रथम प्रयोग अमरी