Skip to main content

Contact us

Name

Email *

Message *

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

समुदाय की विशेषताएं क्या हैं

समुदाय की विशेषताएं क्या हैं समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मूल विशेषताएं बताई जा सकती हैं जो निम्नलिखित हैं :- 1. - निश्चित भूभाग - निश्चित भूभाग का तात्पर्य यहाँ उस सीमा एवं घेरे से है जो किसी विशेष सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं वाले नागरिकों को अपनी परिधि में सम्मिलित करता है । मानव जाति की एक परंपरागत विशेषता रही है कि जब मानव परिवार किसी एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर बसने के लिए प्रस्थान करता है तो वह उस स्थान को प्राथमिकता देता है जहां उसके समान सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक विचारों वाले लोग निवास करते हैं । इस प्रकार धीरे-धीरे काफी परिवार उस समान विशेषता वाले परिवार के समीप आकर बस जाते हैं । इन सभी ए क्षेत्र में बसे परिवारों की समानता एवं समीपता के आधार पर इसे एक नाम दिया जाता है जो इस पूरे समुदाय क्षेत्र का परिचायक होता है । समुदाय के इस निश्चित भूभाग में बसने के आधार पर ही उसका प्रशासन एवं सामाजिक आर्थिक विकास की योजना निर्धारित की जाती है । 2. - व्यक्तियों का समूह - समुदाय से यहां तात्पर्य मानव जाति के समुदाय से है जो अपनी सामाज...

समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास

समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास बाटोमोर के अनुसार समाजशास्त्र एक आधुनिक विज्ञान है जो एक शताब्दी से अधिक पुराना नहीं है । वास्तव में अन्य सामाजिक विज्ञानों की तुलना में समाजशास्त्र एक नवीन विज्ञान है । एक विशिष्ट एवं पृथक विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र की उत्पत्ति का श्रेय फ्रांस के दार्शनिक आगस्त काम्टे को है जिन्होंने सन 1838 में समाज के इस नवीन विज्ञान को समाजशास्त्र नाम दिया । तब से समाजशास्त्र का निरंतर विकास होता जा रहा है । लेकिन यहां यह प्रश्न उठता है कि क्या आगस्त काम्टे के पहले समाज का व्यवस्थित अध्ययन किसी के द्वारा भी नहीं किया गया । इस प्रश्न के उत्तर के रूप में यह कहा जा सकता है कि आगस्त काम्टे के पूर्व भी अनेक विद्वानों ने समाज का व्यवस्थित अध्ययन करने का प्रयत्न किया लेकिन एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र अस्तित्व में नहीं आ सका । समाज के अध्ययन की परंपरा उतनी ही प्राचीन है जितना मानव का सामाजिक जीवन । मनुष्य में प्रारंभ से ही अपने चारों ओर के पर्यावरण को समझने की जिज्ञासा रही है । उसे समय-समय पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है । इन समस...

सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत एवं प्रकार

सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत  एवं  प्रकार सामुदायिक संगठन कार्य के सिद्धांत -   सामुदायिक संगठन कार्य समाज कार्य की प्राथमिक पद्धतियों मैं एक है . समाज कार्य की समानता के साथ साथ समाज कार्य के समान इसके भी कुछ सिद्धांत है जिनका पालन सामाजिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक है . इन सिद्धांतों के प्रयोग के बिना सामुदायिक संगठन कार्य के लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है, इसलिए इन सिद्धांतों का ज्ञान सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है . ये  सिद्धांत सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता को लक्ष्य प्राप्ति के लिए सुलभ एवं आसान तरीके बताते हैं।  तथा अनुभव शील एवं सिद्ध ज्ञान से कार्यकर्ता का मार्गदर्शन करते हैं।  विभिन्न विद्वानों ने भिन्न भिन्न सिद्धांतों का उल्लेख किया है लेकिन यहाँ उन कुछ प्रमुख सिद्धांतों की ही चर्चा की जाएगी जो सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता के लिए आवश्यक है। सिद्धांत का अर्थ प्रकृति एवं विषय क्षेत्र - सामुदायिक संगठन के सिद्धांतों का वर्णन करने से पहले आवश्यक है कि हम सिद्धांत के अर्थ को समझें तथा साम...