Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2020

समाजशास्त्र की विषय वस्तु या विषय सामग्री

समाजशास्त्र की विषय वस्तु या विषय सामग्री कुछ विद्वानों ने समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र हर विषय वस्तु में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं किया है तथा दोनों को एक ही मान लिया है परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है इन दोनों में काफी अंतर है विषय क्षेत्र का तात्पर्य उन संभावित सीमाओं से है जहां तक किसी भी विषय का अध्ययन अधिक से अधिक किया जा सकता है विषय वस्तु का तात्पर्य उन निश्चित बातों या विषयों से है जिसका अध्ययन एक शास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। किसी विषय का क्षेत्र अनुमानित परिधि को और विषय वस्तु अध्ययन के वास्तविक विषयों को व्यक्त करते हैं । समाजशास्त्र की विषय वस्तु के संबंध में यद्यपि विद्वानों में मत भिन्नता हैं परंतु अधिकांश समाजशास्त्री सामाजिक प्रक्रिया व सामाजिक संस्थाओं सामाजिक नियंत्रण एवं सामाजिक परिवर्तन को इसके अंतर्गत सम्मिलित करते हैं । यहां समाजशास्त्र की विषय वस्तु को समझने के लिए इससे कुछ प्रमुख विद्वानों के विचारों का उल्लेख किया जा रहा है । अ - गिन्सबर्ग के विचार:- प्रो. गिन्सबर्ग ने समाजशास्त्र की विषय वस्तु के अंतर्गत अध्ययन किए जाने वाले विषयों को प्रमुखतः चार भाग