Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2020

समाजशास्त्र के क्षेत्रों की विवेचना कीजिए

समाजशास्त्र के क्षेत्रों की विवेचना कीजिए इंकल्स कहते हैं कि समाजशास्त्र परिवर्तनशील समाज का अध्ययन करता है इसलिए समाजशास्त्र के अध्ययन की ना तो कोई सीमा निर्धारित की जा सकती है और ना ही इसके अध्ययन क्षेत्र को बिल्कुल स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा सकता है । क्षेत्र का तात्पर्य यह है कि वह विज्ञान कहां तक फैला हुआ है । अन्य शब्दों में क्षेत्र का अर्थ उन संभावित सीमाओं से है जिनके अंतर्गत किसी विषय या विज्ञान का अध्ययन किया जा सकता है । समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र के संबंध में विद्वानों के मतों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है : 1. - स्वरूपात्मक अथवा विशिष्टात्मक सम्प्रदाय ( Formal or Specialistic or particularistic School ) । तथा 2. - समन्वयात्मक सम्प्रदाय ( Synthetic School ) । प्रथम मत या विचारधारा के अनुसार समाजशास्त्र एक विशेष विज्ञान है और द्वितीय विचारधारा के अनुसार समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है । इनमें से प्रत्येक विचारधारा को हम यहां स्पष्ट करने का प्रयत्न करेंगे । 1 . - स्वरूपात्मक सम्प्रदाय :-   इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक जर्मन समाजशास्त्री चार्ज सिमेल है