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समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास

समाजशास्त्र की उत्पत्ति एवं विकास बाटोमोर के अनुसार समाजशास्त्र एक आधुनिक विज्ञान है जो एक शताब्दी से अधिक पुराना नहीं है । वास्तव में अन्य सामाजिक विज्ञानों की तुलना में समाजशास्त्र एक नवीन विज्ञान है । एक विशिष्ट एवं पृथक विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र की उत्पत्ति का श्रेय फ्रांस के दार्शनिक आगस्त काम्टे को है जिन्होंने सन 1838 में समाज के इस नवीन विज्ञान को समाजशास्त्र नाम दिया । तब से समाजशास्त्र का निरंतर विकास होता जा रहा है । लेकिन यहां यह प्रश्न उठता है कि क्या आगस्त काम्टे के पहले समाज का व्यवस्थित अध्ययन किसी के द्वारा भी नहीं किया गया । इस प्रश्न के उत्तर के रूप में यह कहा जा सकता है कि आगस्त काम्टे के पूर्व भी अनेक विद्वानों ने समाज का व्यवस्थित अध्ययन करने का प्रयत्न किया लेकिन एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र अस्तित्व में नहीं आ सका । समाज के अध्ययन की परंपरा उतनी ही प्राचीन है जितना मानव का सामाजिक जीवन । मनुष्य में प्रारंभ से ही अपने चारों ओर के पर्यावरण को समझने की जिज्ञासा रही है । उसे समय-समय पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है । इन समस...

उपकल्पना का अर्थ और सामुदायिक जीवन की उपकल्पनाएं -

सामुदायिक जीवन की उपकल्पनाएं -   सामुदायिक जीवन की कुछ प्रमुख उपकल्पनाएं -सामुदायिक जीवन की प्रमुख उपकल्पना ओं का चित्रण  न केवल व्यवसायिक समाज कार्यकर्ता के लिए ही उपयोगी है बल्कि अन्य व्यवसायों में प्रशिक्षित सामुदायिक कार्य में संलग्न  कार्यकर्ताओं के लिए भी उपयोगी है।  यह ज्ञान संबंधित कर्मचारियों एवं समाज वैज्ञानिकों को सामुदायिक योजना तथा अन्य विकास कार्यक्रम बनाने तथा सिद्धांतों के निर्धारण के लिए उपयोगी है।  यह समाज कार्यकर्ता को सामुदायिक संगठन कार्य में निष्कंटक  एवं सुगम रास्ता प्रदान करता है।  इस पर चलकर सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता सामुदायिक के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल सिद्ध होता है।  जिस प्रकार एक वैयक्तिक सेवा कार्यकर्त्ता को समस्या  युक्त सेवार्थी की समस्याओं का गहराई से अध्ययन करना, निदान करना, तथा उपचार में सेवार्थी की मनोवैज्ञानिक गतिविधियों की जानकारी हासिल करना आवश्यक है उसी प्रकार सामुदायिक संगठन कार्य की सफलता के लिए आवश्यक है कि  सामुदायिक संगठन कार्यकर्त्ता समुदाय की संस्कृति ,पर...

प्रकार्य की अवधारणा एवं विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए

प्रकार्य की अवधारणा एवं विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए सामान्यतः प्रकार्य (Function) का अर्थ हम समाज या समूह द्वारा किए जाने वाले कार्य या उसके योगदान से लगाते हैं । किंतु समाज में प्रकार्य का अर्थ सम्पूर्ण सामाजिक संरचना को व्यवस्थित बनाए रखने एवं अनुकूलन करने में उसकी इकाइयों द्वारा जो सकारात्मक योगदान दिया जाता है, से लगाया जाता है । प्रकार्य की अवधारणा को हम शरीर के उदाहरण से स्पष्टतः समझ सकते हैं । शरीर की संरचना का निर्माण विभिन्न इकाइयों या अंगों जैसे हाथ, पाँव, नाक,कान,पेट,हृदय,फेफड़े आदि से मिलकर होता है । शरीर के वे विभिन्न अंग शरीर व्यवस्था को बनाए रखने और अनुकूलन में अपना जो योगदान देते हैं,जो कार्य करते हैं, उसे ही इन इकाइयों का प्रकार्य कहा जायेगा ।  परिभाषा (Definition) -  प्रकार्य को इसी अर्थ में परिभाषित करते हुए रैडक्लिफ ब्राउन लिखते हैं, " किसी सामाजिक इकाई का प्रकार्य उस इकाई का वह योगदान है जो वह सामाजिक व्यवस्था को क्रियाशीलता के रूप में सामाजिक जीवन को देती है । वे पुनः लिखते हैं, " प्रकार्य एक आंशिक क्रिया द्वारा उसे संपूर्ण क्रिया को दिया जाने वाला योगदान ह...