सामाजिक परम्पराएँ एवं प्रथाएँ
मानव को अपने जीवन काल में दो प्रकार की विरासत मिलती है एक प्राणीशास्त्रीय [ Biological ] , जो उसे शारीरिक रचना व लक्षण प्रदान करती है और यह माता पिता के वाहकाणुओं ( Genes ) के द्वारा मिलती है इसे हम वंशानुक्रमण ( Heredity ) कहते है दूसरी समाज द्वारा प्रदत्त सामाजिक विरासत (Social Heritage ) है जो व्यक्ति को जीवन यापन के लिए अनेक भौतिक और आभौतिक वस्तुएँ प्रदान करती है घड़ी , पेन, रेड़ियो , टेलीविजन , पंखा , वस्त्र , आदि हजारो प्रकार की वस्तुएं भौतिक विरासत है धर्म , विचार , दर्शन , प्रथाएं , नियम , रीतिरिवाज आदि अभौतिक सामाजिक विरासत है | सामाजिक विरासत का अभौतिक पक्ष ही परम्परा कहलाता है |Tradition ( परम्परा ) शब्द की उत्पत्ति Tradera शब्द से हुई है जिसका अर्थ हस्तान्तरित करना ( Handing down or transmission ) ' Tradition का संस्कृत शब्द ; परम्परा ' है जिसका अर्थ है ' ऐतिह " अर्थात विरासत में मिलना | इस प्रकार परम्परा का सम्बन्ध उन बातों से है जो अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही हों और जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होती रही हों | इस सन्दर्भ में एक बात उल्लेखनीय है कि परम्परा लम्बे समय से संरक्षित तो होती है किन्तु यह पूर्णतः अपरिवर्तनशील या नितान्त रूढ़िवादी नहीं होती वरन सामूहिक अनुभवों के अनुरूप इसमें आंशिक रूप में परवर्तन होता रहता है
परम्परा को परिभाषित करते हुए गिन्सबर्ग ( Ginsberg ) लिखते है परम्परा का अर्थ सम्पूर्ण विचारों ,आदतों और प्रथाओं के योग से है जो एक समूह की विशेषता है एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती रहती है
रॉस के अनुसार परम्परा का अर्थ चिंतन और विश्वास करने की विधि का हस्तान्तरण |
जेम्स ड्रीवर के अनुसार परम्परा कानून प्रथा कहानी और पौराणिक कथाओं का वह संग्रह है जो मौखिक रूप में एक पीढ़ी द्वारा दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित किया जाता है
उपर्युक्त परिभाषाओं से ये स्पष्ट होता है की परम्पराएँ किसी भी समाज में प्रचलित प्रथाओं व जनरीतियों का सम्पूर्ण योग है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती है परम्पराओं का पालन लोगों द्वारा बिना किसी तर्क वितर्क के स्वतः ही किया जाता है -
परम्परा की विशेषताएं इस प्रकार है -
- परम्पराएँ लम्बे समय की दें होती है , उनमे निरन्तरता होती है |
- परम्पराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित की जाती है |
- परम्पराओं का पालन अचेतन रूप से एवं बिना विचारे किया जैता है |
- परम्पराओं में परिवर्तन धीमी गति से होता है |
- परम्पराओं में हस्तान्तरण लिखित व मौखिक - किसी भी प्रकार से हो सकता है |
- परम्पराओं में कठोरता पायी जाती हैं |
परम्पराओं का महत्त्व -
परम्पराएँ दृढ़ता की प्रबल शक्ति है , सिसरो ने कहा था यदि पूर्व की घटनाओं की स्मृतियाँ वर्तमान को अतीत के साथ सम्बद्ध न करे तो फिर मानव जीवन है ही क्या ?
मैक्डूगल - ने लिखा है हम जीवितों की अपेक्षा मृतकों से अधिक सम्बन्धित होते है | समस्याओं को सुलझाने एवं परिस्थितियों का सामना करने के पुराने ढंगों के आधार पर नए ढंगों की खोज की जा सकती है | परम्परा हमें धैर्य , साहस , एवं आत्मविश्वास प्रदान करती है
- परम्पराएँ सामाजिक जीवन को सरल बनती है , हमारे व्यवहार का मार्गदर्शन करती है तथा समाजीकरण में योग देती है |
- परम्पराएं सामाजिक जीवन में एकरूपता लाती है |
- परम्पराएं व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती है |
- ये व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है |
- परम्पराओं में भूतकाल का अनुभव निहित होता है अतः हम उनके सहारे नवीन संकटों एवं परिस्थितियों का मुकाबला आसानी से कर सकतें है |
- परम्पराएँ राष्ट्रीय भावना के विकास मेंसहायक होती है | गिम्सबर्ग लिखते है परम्पराएँ राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है | परम्परा सामाजिक तनाव को कम कर के सामाजिक विकास की एक दिशा निर्धारित करती है | परम्पराओं से सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं का अस्तित्व बना रहता है |
प्रथा
प्रथाएँ भी अनौपचारिक सामाजिक प्रतिमान है | प्रथा शब्द का प्रयोग ऐसी जनरीतियों के लिए होता हैं जो समाज में बहुत समय से प्रचलित हों | प्रथा में भी समूह कल्याण के भाव निहित होते हैं , यहीं कारण हैं कई बार प्रथा एवं लोकाचार का प्रयोग पर्यायवाची के रूप में किया जाता है | जब जनरीतियों को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित है तो ये प्रथाओं के नाम से मानी जाती है | प्रथाएं नवीनता की विरोधी होती हैं और ये कार्य करने के परम्परागत ढंग पर ही जोर देते है |
प्रो. डेविस लिखते हैं प्रथा शब्द विशेषकर उन व्यवहारों की ओर संकेत करता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी होते चले आये है अथवा प्रथाएं वे व्यवहार है जिनका पालन केवल इसलिए किया जाता है कि बीते हुए समय में उनका पालन किया गया था , इस प्रकार ये लोकाचारों की अपेक्षा लोकरीतियों के अधिक निकट है ,लेकिन ये दोनों के परंपरागत स्वचालित तथा सामूहिक चरित्र को स्पष्ट करती है , प्रथाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर है , उनमे तर्क का होना आवश्यक नहीं है |
प्रथाओं को परिभाषित करते हुए मैकाइवर एवं पेज लिखते है सामाजिक मान्यता प्राप्त व्यवहार ही समाज की प्रथाएं है , सापिर के अनुसार प्रथा का उपयोग व्यवहार के तरीको की उस सम्पूर्णता के लिए किया जाता है जो परम्पराओ द्वारा अस्तित्व में आकर समूह में स्थायी रूप ग्रहण कर लेते है
बोगार्डस लिखते है परथायर समूह के द्वारा स्वीकृत नियंत्रण की ऐसी विधियां है जो इतनी सुदृढ़ हो जाती है कि उन्हें बिना विचारे ही मान्यता दे दी जाती है और इस प्रकार ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती रहती है |
प्रथा की विशेषताएं -
- प्रथाएं समाज में व्यव्हार करने की विधि है |
- प्रथाएं जो जनरीतियाँ है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित की जाती है |
- प्रथाओं को समाज की स्वीकृत प्राप्त होती है , इसलिए इनमे स्थायित्व पाया जाता है |
- प्रथाएं व्यक्ति के व्यवहार पर नियंत्रण रखती है , ये सामाजिक नियंत्रण का अनौपचारिक साधन है |
- इनकी प्रकृति बाध्यता मूलक होती है |
- प्रथाएं अलिखित एवं अनियोजित होती है |
- प्रथाओं का निर्माण नहीं होता वरन ये समाज के साथ धीरे धीरे विकसित होती है | इस प्रकार ये इतिहास की दें है |
- प्रथाओं का उल्लंघन करने पर समाज द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती है ,ऐसा करने वालो की निंदा की जाती है तथा हसी उड़ाई जाती है।
- प्रथाओं का पालन कराने वाली कोई औपचारिक संस्था या संगठन नहीं होता और न ही इनकी व्याख्या व देख रेख करने वाला कोई अधिकारी ही , समाज ही प्रथा का न्यायालय है |
- प्रथाएं कठोर एवं अपरिवर्तनशील होते हुए भी समय के साथ साथ कुछ बदलती रहती है |
- प्रथाओं का पालन करना लोग अपना कर्तव्य समझते है , उनसे वो अपना मनोवैज्ञानिक सम्बन्ध मानते है , लोगो का विश्वास है की प्रथाओं का पालन करने का अर्थ है पूर्वजो के प्रति सम्मान प्रकट करना क्योकि उनका निर्माण उनके पूर्वजो द्वारा ही तो किया गया |
- प्रथाओं का पालन करने पर व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है |
- समाज के सभी व्यक्तियों में पहल करने की क्षमता नहीं होती अतः किसी नए व्यवहार को प्रारम्भ करने के बजाय वे परम्परा से चले आ रहे व्यवहार को ही स्वीकार कर लेते है |
- प्रथाओं का पालन नहीं करने पर समाज द्वारा व्यक्ति की आलोचना व् निंदा की जाती है और उसे समाज से बहिष्कृत भी किया जा सकता है | इन स्थितियों से बचने के लिए भी व्यक्ति प्रथाओं का पालन करता है |
- एक लम्बे समय से समाज में प्रथाओं का प्रचलन होने से वे हमारे व्यवहार का अंग बन जाती है अतः स्वाभाविक रूप से उनका पालन किया जाता हैं |
- प्रथाएं व्यक्ति को सामाजिक अनुकूलन में सहायता होती है |
- प्रथाएं समाजीकरण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने में सहयोग प्रदान करती है ये सिखने की प्रक्रिया की सरल बना देती है |
- प्रत्येंक समूह अथवा समाज के व्यवहार में एक रूपता लती हैं |
प्रथा तथा जनरीति में अन्तर
प्रथा और जनरीति में यह समानता है की दोनों ही समाज के अनौपचारिक सामाजिक प्रतिमान है , दोनों ही समाज में नियंत्रण रखने का कार्य करती है | फिर भी इन दोनों में कुछ अंतर है
- जनरीति सामूहिक व्यवहार का पहला चरण है जबकि जनरीतियाँ ही विकसित हो कर प्रथा का रूप ग्रहण कर लेती है |
- प्रथाएं जनरीतियों की तुलना में अधिक स्थाई एवं शक्तिशाली होती है |
- जनरीतियों का महत्त्व प्रथाओं की अपेक्षा कम है अतः उनका उल्लंघन करने पर उतना दंड नहीं दिया जाता जितना प्रथाओं का उल्लंघन करने पर दिया जाता है |
- जनरीतियों का सम्बन्ध वर्तमान समय से होता है वर्तमान समय में प्रचलित समूह की आदते ही जनरीतियाँ कहलाती है जबकि प्रथाओं का प्रचलन लम्बे समय से होता है | प्रथाएं पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है और इनमे पूर्वजो का अनुभव जुड़ा होता है |
- एक प्रथा के पालन में अनेक जनरीतियों का सहारा लिया जाता है जबकि किसी एक जनरीति के पालन में कई प्रथाएं नहीं होती है |
- जनरीतियों का सम्बन्ध समूह की आदतों से है जबकि प्रथा का समूह के विश्वासों से | प्रथाओं के पालन से सामूहिक हित की रक्षा होती है जबकि जनरीती के पालन से ऐसा हो ही , यह आवश्यक नहीं है |
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