समाज कार्य की अवधारणा
अवधारणा से हमारा तात्पर्य कुछ विशिष्ट प्रकार की विचारधाराओं से होता है जिस पर कोई कला या विज्ञान आधारित होता है तथा इन्हीं अवधारणाओं के आधार पर उसे पूरे विज्ञान अथवा कला के बारे में कल्पना की जा सकती है। आधुनिक युग में समाज कार्य एक व्यवसाय के रूप में विकसित हुआ है और विज्ञान तथा कला के रूप में सर्वत्र स्वीकार किया जा चुका है अतः समाज कार्य भी कुछ विशिष्ट अवधारणाओं पर आधारित है जो निम्नलिखित हैसमूह में व्यक्ति के व्यवहार के संबंध में ज्ञान
समाज कार्य के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति एवं उसके सामूहिक व्यवहारों का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त किया जाए समाज कार्य का कार्यक्षेत्र व्यक्ति है इसलिए उसके व्यवहारों का ज्ञान होना आवश्यक है इस ज्ञान प्राप्ति के लिए अन्य विज्ञानों का सहारा लेना पड़ता है उदाहरण व्यक्ति की आंतरिक दशा एवं व्यवहारों की जानकारी के लिए मनोविज्ञान सामाजिक स्थिति व सांस्कृतिक दशाओं का व्यक्ति पर प्रभाव जानने के लिए समाजशास्त्र व्यक्ति की आर्थिक दशाओं के ज्ञान के लिए अर्थशास्त्र तथा उसकी शारीरिक स्थिति की जानकारी के लिए जीव विज्ञान की सहायता ली जाती है इस आधार पर संक्षेप में कहा जा सकता है कि कोई भी विज्ञान जो व्यक्ति के स्वभाव शारीरिक मानसिक व सामाजिक दशा तथा भूत भविष्य एवं वर्तमान में होने वाले व्यवहारों के संबंध में वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करता है उसका ज्ञान समाज कार्य के लिए अनिवार्य है क्योंकि व्यक्ति के व्यवहार क्रियाकलापों व परिस्थितियों के बहुमुखी ज्ञान की अनुपस्थिति में समाज कार्य वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर व्यवसायिक सेवा प्रदान करने में सर्वथा असमर्थ सिद्ध होगा
मानवीय व्यवहारों से संबंधित विषयों का ज्ञान
यह आवश्यक नहीं है कि समाज कार्य सभी विज्ञानों का विशद रूप से ज्ञान प्राप्त करें वर्ण जिसके लिए मात्र व्यक्ति से संबंधित विज्ञानों के बारे कुछ सामान्य जानकारी होनी चाहिए वह भी ऐसी जिनका मनुष्य के जीवन में सामान्य उपयोग होता है यदि किसी विशेष विज्ञान के बारे में किसी विशेष प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होती है तो समाज कार्य क्षेत्र का अभ्यासी कार्यकर्ता उस विज्ञान के विशेषज्ञों द्वारा विद्वानों की सहायता लेता है।
सेवार्थी के आवश्यक तत्वों की जानकारी देना
समाज कार्य के अंतर्गत व्यवसायिक सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया में सामाजिक कार्यकर्ता सैद्धांतिक रूप से समस्या ग्रस्त व्यक्ति को आवश्यक तथ्यों की जानकारी प्रदान करता है विभिन्न विद्वानों एवं शास्त्रों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता किसी सेवार्थी की समस्या एवं उसके कारणों के संबंध में सेवार्थी तथा अन्य स्रोतों के द्वारा संपूर्ण जानकारी प्राप्त करता है जिसमें से आवश्यकतानुसार कुछ तथ्यों से सेवार्थी समस्या ग्रस्त व्यक्ति को भी आवश्यक ज्ञान व जानकारी प्रदान करता है साथ ही ध्यान रखता है कि सेवार्थी को समस्या जानकारी विशिष्ट परिस्थितियों में दी जाएं उदाहरणार्थ यदि किसी बालक सेवार्थी की व्यवहारिक समस्या का मुख्य कारण पिता द्वारा बालक के साथ किए गए दुर्व्यवहार का फल है तो वास्तविकता सुनने व समझने के लिए पहले पिता को अपने बालक के दुर्व्यवहार का कारण उसके द्वारा किया गया व्यवहार आदि सुनने के लिए मानसिक व संवेगात्मक रूप से तैयार करने के पश्चात ही तथ्यों से अवगत कराया जाता है।
सेवार्थी की क्षमताओं में विश्वास
हर व्यक्ति में कुछ जन्मजात क्षमताएं निहित होती है तथा कुछ क्षमताओं का योग्यताओं का विकास हुआ अनुभव के आधार पर करता है इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी की अंतर्निहित क्षमताओं एवं योग्यताओं में विश्वास करता है तथा उन्हें स्वीकृति प्रदान करता है सामाजिक कार्यकर्ता यह भी विश्वास करता है कि उचित परामर्श एवं निर्देशन के आधार पर साधनों का ज्ञान हो जाने पर सेवार्थी उनका समुचित उपयोग करके अपनी समस्याओं व औरतों का निराकरण स्वता करने में समर्थ हो सकेगा इसी विश्वास के साथ सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी को स्पष्ट रूप से बताने का प्रयास करता है किन किन साधनों का उपयोग करके वह अपनी समस्या का समाधान करने में सफल हो सकता है सामाजिक कार्यकर्ता या अभी विश्वास करता है कि सेवार्थी में अपनी समस्याओं का समाधान करने की क्षमता निहित होती है केवल अंतर यह होता है कि बिना सहायता प्राप्त किए अपनी अंतर्निहित क्षमताओं का उपयोग समुचित रूप से करने में असमर्थ रहता है अथवा अपनी क्षमता के प्रति उसमें विश्वास व जागरूकता की कमी होती है फल स्वरूप व समस्या समाधान की क्षमता व योग्यता रखते हुए भी समस्या की रोकथाम व निराकरण नहीं कर पाता
अन्य उपयोगी साधनों में विश्वास
समाज कार्य के अपने साधनों के अतिरिक्त सामाजिक कार्यकर्ता आवश्यकतानुसार अन्य उपयोगी सामुदायिक साधनों के समुचित उपयोग की क्षमता पर विश्वास रखता है साथ ही समस्या की प्रकृति को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी को उन उपलब्ध सामुदायिक साधनों के उपयोग के लिए प्रेरित हुआ निर्देशित करता है जिनके द्वारा उसकी समस्या का निराकरण वैज्ञानिक ढंग से संभव है इससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक कार्यकर्ता को विभिन्न कल्याणकारी संस्थाओं समुदाय व समाज में उपलब्ध समस्या समाधान के साधनों की जानकारी व विश्वास होता है साथ ही साथ उसमें यह भी क्षमता होती है कि आवश्यकतानुसार उपलब्ध साधनों के उपयोग के संबंध में उचित परामर्श सेवार्थी को दे सके अर्थात सामाजिक कार्यकर्ता को अपने व्यवसाय ज्ञान एवं कौशल के अतिरिक्त अन्य सामुदायिक साधनों संस्थाओं तथा व्यवसाय ओं के बारे में पूर्ण जानकारी एवं आस्था होती है और उनके उपयोग के लिए सेवार्थी को निर्देशित व प्रोत्साहित करने में भी सक्षम होता है।
सेवार्थी के व्यक्तित्व को स्वीकार करना तथा आदर देना
हर व्यक्ति का व्यक्तित्व अद्भुत तथा एक दूसरे से भिन्न कुछ विशिष्ट अदाओं पर निर्भर होता है तथा मानवीय स्वभाव के अनुकूल हर व्यक्ति समाज में उच्च स्तर व आदर का स्थान प्राप्त करने का अभिलाषी होता है हर व्यक्ति में कुछ विशेषताएं अच्छाइयां और साथ ही कुछ बुराइयां या कमियां होती हैं इसी विश्वास के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता समस्या ग्रस्त व्यक्ति के व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा व मान्यता पर विश्वास रखता है तथा सेवार्थी व उसके व्यक्तित्व को उसी रूप में स्वीकार करता है और उचित प्रतिष्ठा प्रदान करता है यदि कार्यकर्ता किसी कारणवश एस सी करने में असमर्थ होता है अथवा अपनी भावनाओं का विचारों पर नियंत्रण न कर पाने के कारण सेवार्थी को उस रूप में स्वीकार करते हुए आदर व प्रतिष्ठा नहीं प्रदान करता तो सेवार्थी के साथ ना तो उचित रूप से व्यवसाई का आधार पर विश्वसनीयसंबंध स्थापित कर पाता है और ना ही उसकी समस्या समाधान में ही अपेक्षित सहायता प्रदान कर सकता है।
गोपनीयता पर आधारित विश्वसनीय संबंध
समाज कार्य के अंतर्गत सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि कार्यकर्ता स्वार्थी के साथ उचित रूप से व्यवसायिक वह विश्वसनीय संबंध स्थापित करें इसके अभाव में कार्यकर्ता ना तो समस्या समस्या का रूप कारण प्रणाम बुआ स्वार्थी पर प्रभाव आज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है ना ही उसकी सामाजिक परिस्थितियों हुआ पर्यावरण का अध्यन स्वार्थी के संदर्भ में कर सकता है जो व्यवसायिक ढंग से सेवा प्रदान करने का आधार होते हैं इससे स्पष्ट होता है कि विश्वस्त युवा गोपनीय संबंध स्थापना ही समाज कार्य द्वारा प्रदान की जाने वाली व्यवसायिक सेवा का आधार है इस संबंध स्थापना की प्रक्रिया में सामाजिक कार्यकर्ता को अपनी भावनाओं इच्छाओं संवेग गुस्सा पूर्व ग्रहो आधी रात नियंत्रण करना पड़ता है ताकि सामाजिक कार्यकर्ता स्वार्थी संबंध व्यक्तिगत वह संवेगात्मक रूप में साइन होकर व्यवसायिक अतीक बना रहे क्योंकि समाज कार्य की अंतर्गत धान की जाने वाली संपूर्ण सेवाओं का आधा व्यवसाई संबंधों पर ही निर्भर होता है और विश्वसनीय संबंध के अभाव मेंव्यवसाई सेवा कार्य की प्रक्रिया द्वारा समस्या ग्रस्त व्यक्तियों की समस्याओं के निराकरण में सहायता असंभव है।
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