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नगरीय समाजशास्त्र के अध्ययन के महत्व की उपयोगिता वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

नगरीय समाजशास्त्र के अध्ययन के महत्व की उपयोगिता वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य 

प्राचीन नगरों और आधुनिक नगरों की प्रकृति में भूमि आकाश का अंतर है आधुनिक युग वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास और प्रगति का है नगरीय जीवन सरल था कि नहीं जटिलता के प्रतीक हैं नगर के व्यक्तियों के सामाजिक संबंध मूल्य आदर्श मान्यताएं व्यवहार करने के ढंग रहन-सहन के स्तर में विभिन्न अदाएं सोच और मानसिकता आदमी अत्यधिक बदलाव और जटिलता आ गई है इस परिवर्तित होते हुए नगरी प्रतिमान का वैज्ञानिक अध्ययन नगरीय समाजशास्त्र करता है इस दृष्टि से नगरीय समाजशास्त्र का महत्व आज के संदर्भ में निरंतर बढ़ता जा रहा है इसके अध्ययन के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से जाना जा सकता है ।

नगरीय जटिल समाज का अध्ययन - सामाजिक दृष्टि से इस शास्त्र का महत्व अत्यधिक है सामाजिक संबंधों में जटिलता और दुरुहता का वैज्ञानिक अध्ययन नगरीय समाजशास्त्र ही करने में सक्षम है परिवर्तित होते हुए नगरीय समाज में व्यक्तियों के मूल्य दृष्टिकोण सोच मानसिकता आदि में भी तीव्रता से परिवर्तन हो रहे हैं संस्थाओं समूह समितियों समुदाय के ढांचे में बदलाव आ रहा है इन सभी चीजों का वैज्ञानिक अध्ययन यह शास्त्र करता है ।

नगरीय समस्याओं का अध्ययन - आज से 50 वर्ष पूर्व जो छोटे-छोटे कस्बे थे उनमें से अधिकांश अब नगर हो गए हैं । तकनीकी प्रगति ने नगर की सीमा में वृद्धि कर दी है सैकड़ों किलोमीटर के घेरे में नगर बस्ता और बढ़ता जा रहा है इसी के साथ नगर की आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक समस्या में निरंतर वृद्धि हो रही है जिसका अध्ययन यह शास्त्र करता है । 

नगरीय समाज का विश्लेषण - नगर की विभिन्न इकाइयों संस्थाओं समूह और समुदायों का विश्लेषण करके इसका अध्ययन करता है इस अध्ययन पद्धति से प्रत्येक नगरीय सामाजिक संस्था अथवा संगठन का विस्तृत अध्ययन किया जाता है इस दृष्टि से प्रत्येक आर्थिक सामाजिक इकाई के विभिन्न पक्षों का ज्ञान प्राप्त होता है ।

समसामयिक परिवर्तन का अध्ययन - नगरों और महानगरों में तीव्रता से परिवर्तन हो रहे हैं । नगरीय व्यक्ति के सोच मूल्य और मानसिकता में अत्यधिक परिवर्तन को देखा जा सकता है भौतिकवादी सभ्यता और संस्कृति के सुखवादी दर्शन ने संपूर्ण भारतीय संस्कृति के मापदंडों को ही परिवर्तित कर दिया है इन सम सामयिक परिवर्तनों का नगरीय समाजशास्त्र ही व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करता है ।

नगरीय समस्याओं के निराकरण में योगदान - एहसास नगरीय समस्याओं का गहन अध्ययन कर उसके निराकरण के लिए भी एक दृष्टि और दिशा प्रदान करता है विभिन्न जटिल समस्याओं का समाधान कैसे किया जाए इस संबंध में ठोस सुझाव प्रस्तुत करता है ।

नगर वाद से जन्मी चीजों का अध्ययन - आधुनिक युग में नगर अध्यक्ष के जीवन पद्धति की एक है शैली बन गई है । नगर व्यक्ति के जीवन के अभिन्न अंग है इसके आकर्षण में नगरों की जनसंख्या के घनत्व में जहां वृद्धि की है वहीं अनेक बहुआयामी आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को भी उत्पन्न किया है बढ़ती हुई जनसंख्या के दबाव में नगरों में अनेक जटिल समस्याओं को उत्पन्न किया है जैसे आवास समस्या मलिन बस्तियां बेकारी सांप्रदायिक झगड़े और तनाव विभिन्न धार्मिक संगठनों में तनाव भ्रष्टाचार नैतिकता है रोग कैंसर मानसिक रोग पेट के अनेक रोग जो मात्र तनाव से उत्पन्न होते हैं आदि नगर वाद के बढ़ते हुए प्रभाव में उत्पन्न किए हैं इस नगर बाद से जन्मी बहुआयामी समस्याओं के अध्ययन की दृष्टि से इस सत्र का अपना महत्व है । 

अन्तःसंबंधों और अन्तः क्रियाओं का अध्ययन - नगर की जटिल व्यवस्था में अंतर संबंधों और अन्तः क्रियाओं को समझना सरल कार्य नहीं है विभिन्न जाति संप्रदाय संगठन धर्म और वर्ग के मत आज किस प्रकार के संबंध हैं और उनमें परस्पर किस प्रकार की अन्तः क्रियाएं होती हैं इसका वैज्ञानिक अध्ययन नगरीय समाजशास्त्र ही करता है किसी भी नगरी समस्याओं की पृष्ठभूमि में विभिन्न वर्गों धर्मों जातियों और संप्रदायों की परस्पर कड़वाहट से जन्मी अंता क्रियाओं का परिणाम होती है जैसे सांप्रदायिक झगड़े और तनाव जातिगत झगड़े आदि ।

सामाजिक पुनर्निर्माण में सहायक - नगरीय समाजशास्त्र नगर की अनेक समस्याओं का अध्ययन करता है उनके निराकरण के लिए एक दृष्टि और दिशा प्रदान करता है समाज का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए इसके लिए दिशा का निर्माण करता है और उस दिशा पर चलने के लिए योजनाओं का निर्माण करता है इसलिए नगरीय समाजशास्त्र में पूर्व निर्माण के सिद्धांतों की व्याख्या की गई है ।
सामाजिक विघटन को उत्पन्न करने वाले तत्वों का अध्ययन - नगरीय अजटेल समाज की अपनी विशेषताएं हैं यहां का व्यक्ति समूह और समुदाय के मूल्यों से बंद कर नहीं रहता बल्कि वह अपने बनाए हुए मूल्यों के घेरे में रहता है वह मूलतः अब व्यक्तिवादी और महत्वाकांक्षी है अपने स्वार्थ की पूर्ति में किसी भी प्रकार का भ्रष्ट से भ्रष्ट और अनैतिक से अनैतिक कार्य कर सकता है इन सब के परिणाम स्वरूप समाज में आज वैयक्तिक विघटन वेश्यावृत्ति मद्यपान अनैतिक व्यापार आत्महत्या अपराध और बाल अपराध में निरंतर वृद्धि हो रही है यह सभी तथ्य समाज को विघटित करते हैं यह शास्त्र इन सभी चीजों का अध्ययन करता है और इनके निराकरण के लिए ठोस सुझाव प्रस्तुत करता है ।

नगरीय नियोजन में सहायक -
नगर की विभिन्न समस्याओं का गहन अध्ययन करने के कारण यह साधु समाज के निर्माताओं और सरकार को यह सुझाव प्रस्तुत करता है कि नगर का किस प्रकार से निर्माण किया जाए जिससे कि विभिन्न प्रकार की नगरीय समस्याओं का जन्म वहां ना हो सके । इसलिए आज नगर नियोजन के लिए मास्टर प्लान की आवश्यकता होती है नगर को आधुनिक और स्वच्छ बनाए रखने में मास्टर प्लान का अपना महत्व है इस शास्त्र में नगर नियोजन के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाता है । 

ज्ञान की एक शाखा के रूप में - कोई भी शास्त्र ज्ञान की एक शाखा होती है वह समाज को नया ज्ञान देती है एक नई दृष्टि और सोच प्रदान करती है इस दृष्टि से उपर्युक्त तथ्य इस बात के प्रमाण हैं कि नगरीय समाजशास्त्र नगर से जुड़ी अनेक आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक चीजों का अध्ययन करता है और समाज को अपने अध्ययन से एक नई जानकारी प्रदान करता है इस दृष्टि से नगरीय समाजशास्त्र सामाजिक विज्ञानों में ज्ञान की आधुनिकतम शाखा है ।

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