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समुदाय की विशेषताएं क्या हैं

समुदाय की विशेषताएं क्या हैं

समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मूल विशेषताएं बताई जा सकती हैं जो निम्नलिखित हैं :-

1. - निश्चित भूभाग - निश्चित भूभाग का तात्पर्य यहाँ उस सीमा एवं घेरे से है जो किसी विशेष सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं वाले नागरिकों को अपनी परिधि में सम्मिलित करता है । मानव जाति की एक परंपरागत विशेषता रही है कि जब मानव परिवार किसी एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर बसने के लिए प्रस्थान करता है तो वह उस स्थान को प्राथमिकता देता है जहां उसके समान सामाजिक आर्थिक एवं धार्मिक विचारों वाले लोग निवास करते हैं । इस प्रकार धीरे-धीरे काफी परिवार उस समान विशेषता वाले परिवार के समीप आकर बस जाते हैं । इन सभी ए क्षेत्र में बसे परिवारों की समानता एवं समीपता के आधार पर इसे एक नाम दिया जाता है जो इस पूरे समुदाय क्षेत्र का परिचायक होता है । समुदाय के इस निश्चित भूभाग में बसने के आधार पर ही उसका प्रशासन एवं सामाजिक आर्थिक विकास की योजना निर्धारित की जाती है ।

2. - व्यक्तियों का समूह - समुदाय से यहां तात्पर्य मानव जाति के समुदाय से है जो अपनी सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक समरूपताओं के आधार पर एक निश्चित सीमा में निवास करते हैं । इस प्रकार स्पष्ट है कि समुदाय में हम मानवीय सदस्यों को सम्मिलित करते हैं न कि पशु पक्षियों को ।

3. - सामुदायिक भावना - सामुदायिक भावना का तात्पर्य यहां सदस्यों के आपसी मेल मिलाप, पारस्परिक संबंध से है । वैसे तो संबंध कई प्रकार के होते हैं, लेकिन यहां सदस्यों में एक दूसरे की जिम्मेदारी महसूस करने तथा सार्वजनिक व सामुदायिक जिम्मेदारी को महसूस करने तथा निभाने से है । आज बदलते परिवेश में मानव अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं एवं समस्याओं से अधिक जुड़ा हुआ है न कि सामुदायिक से । प्रारंभिक काल में व्यक्तियों में एक दूसरे के विकास एवं कल्याण के प्रति अटूट श्रद्धा थी । लोग व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों की अपेक्षा सामुदायिक जिम्मेदारियों को अधिक महत्व देते थे और सामुदायिक जिम्मेदारियों को महसूस करने में अपना सम्मान समझते थे । इस प्रकार समुदाय में ' हम भावना ' व्यापक थी । आज भी ग्रामीण समुदाय के पुराने सदस्य सामुदायिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देते हैं ।

समुदाय में 'हम' भावना की व्यापकता का मुख्य कारण उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक समीपता से है । सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से समीप सदस्यों की समस्याओं एवं आवश्यकताओं में भी एकरूपता होने के कारण लोग एक दूसरे के काफी सन्निकट रहते हैं तथा एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं । एक समुदाय का प्रशासन उस समुदाय के सम्पूर्ण सदस्यों द्वारा होता है न कि व्यक्ति विशेष द्वारा ।

4. - सर्वमान्य नियम - जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि प्राथमिक रूप से समुदाय का प्रशासन समुदाय के सदस्यों द्वारा बनाए गए नियमों पर निर्भर होता है । औपचारिक नियमों के अतिरिक्त समुदाय को एक सूत्र में बांधने, समुदाय में नियंत्रण स्थापित करने, सदस्यों को न्याय दिलाने, कमजोर सदस्यों को शोषण से बचाने तथा शोषितों पर नियंत्रण रखने या सामुदायिक व्यवहारों को नियमित करने के लिए प्रत्येक समुदाय अपनी सामुदायिक परिस्थितियों के अनुसार अनौपचारिक नियमों को जन्म देता है । इन निर्धारित नियमों (मूल्यों) का पालन प्रत्येक सामुदायिक सदस्य के लिए आवश्यक होता है । इनका उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाता है ।

5. - स्वतः विकास - समुदाय का निर्माण कुछ लोगों के द्वारा जानबूझकर या नियोजित प्रयत्नों द्वारा नहीं किया जाता । इसका तो समय के बीतने के साथ-साथ स्वतः ही विकास होता है । जब कुछ लोग किसी स्थान विशेष पर रहने लगते हैं तो धीरे-धीरे उनमें हम की भावना पनपती है और वे वहां रहने वाले सभी लोगों के समूह को अपना समूह समझने लगते हैं । इस प्रकार की भावना के विकसित होने पर हुआ समूह समुदाय का रूप ग्रहण कर लेता है ।

6. - विशिष्ट नाम - प्रत्येक समुदाय का अपना एक विशिष्ट नाम होता है जो उस समुदाय के लोगों में 'हम की भावना' जागृत करने और उसे बनाए रखने में योग देता है । प्रत्येक समुदाय के नाम के साथ एक विशिष्ट इतिहास जुड़ा होता है । जो उसे एक व्यक्तित्व प्रदान करता है । उदाहरण के रूप में, दिल्ली एक ऐसा समुदाय है जिसके नाम के साथ एक लंबा इतिहास जुड़ा हुआ है जो उसे विशिष्टता प्रदान करता है ।

लुम्ले के अनुसार, यह समरूपता का परिचायक है, यह वास्तविकता का बोध कराता है, यह अलग व्यक्तित्व को इंगित करता है, यह बहुधा व्यक्तित्व का वर्णन करता है । कानून की दृष्टि में इसके कोई अधिकार एवं कर्तव्य नहीं होते ।

7. - स्थायीपन - इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक समुदाय एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में स्थाई रूप से रहता है । किसी भी अस्थाई समूह जैसे भीड़, श्रोता समूह या खानाबदोश झुंड को समुदाय नहीं माना जाता क्योंकि इनके साथ भौगोलिक क्षेत्र स्थाई रूप से जुड़ा हुआ नहीं होता । समुदाय एक ही स्थान पर स्थाई रूप से बना रहता है जब तक कि भूकंप, तूफान, बाढ़ या युद्ध के कारण वह पूरी तरह से नष्ट ना हो जाए । हम स्पष्टतः यह जानते हैं कि कौन सा समुदाय किस भौगोलिक क्षेत्र में बसा हुआ है । इसका कारण समुदाय के साथ स्थायित्व के तत्व का जुड़ा होना है ।

8. - सामान्य जीवन - प्रत्येक समुदाय के कुछ सामान्य रीति रिवाज, परंपराएं, विश्वास, उत्सव एवं त्योहार तथा संस्कार आदि होते हैं जो उस समुदाय के लोगों के जीवन में एकरूपता उत्पन्न करने में योग देते हैं । समुदाय में ही व्यक्ति की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि आवश्यकताओं की पूर्ति होती है । यहीं उसका संपूर्ण जीवन व्यतीत होता है । इस दृष्टि से समुदाय सामान्यताओं का एक ऐसा क्षेत्र है जहां व्यक्ति उद्देश्य की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि अपना सारा जीवन बिताने के लिए रहता है । इस प्रकार समुदाय में सदस्यों का संपूर्ण जीवन सामान्य रूप से व्यतीत होता है ।

9. - व्यापक उद्देश्य - समुदाय का विकास किसी एक या कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए नहीं होता । यह तो व्यक्तियों के जीवन की विभिन्न गतिविधियों का केंद्र स्थल है । इसमें अनेक समूह, समितियां एवं संस्थाएं समाहित होती हैं जो समुदाय के व्यापक लक्ष्यों की पूर्ति में योग देती है । समुदाय के उद्देश्य इस दृष्टि से भी व्यापक है कि यह किसी व्यक्ति विशेष, समूह विशेष या वर्ग विशेष के हित या लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कार्य ना करके सभी व्यक्तियों एवं समूहों के सभी प्रकार के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करता है ।

10. - अनिवार्य सदस्यता - प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समुदाय का सदस्य अवश्य होता है । वह किसी न किसी क्षेत्र विशेष में आने लोगों के निकट रहता है, उसके साथ अंतः क्रिया करता है । उसे अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी न किसी क्षेत्रीय समूह अर्थात समुदाय में रहना पड़ता है । एक क्षेत्र विशेष में लंबी अवधि तक अन्य लोगों के साथ रहने में उसमें अपने समुदाय के प्रति एक लगाव या अपनत्व का भाव पैदा हो जाता है । आज के युग में भौगोलिक और सामाजिक गतिशीलता के बढ़ जाने से लोग एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाते हैं, एक समुदाय को छोड़कर किसी अन्य समुदाय में जाकर रहने लग जाते हैं । परंतु इतना अवश्य है कि सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी समुदाय का सदस्य अवश्य होता है ।

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