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मानव संसाधन प्रबन्धन से क्या अभिप्राय है एवं विशेषताएं


मानव संसाधन प्रबन्धन से क्या अभिप्राय है एवं विशेषताएं


मानव संसाधन प्रबन्धन : सैद्धांतिक विवेचना - किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास केवल उसके भौतिक संसाधनों अथवा पूंजी पर ही निर्भर नहीं करता, वरन उसके मानवीय संसाधनों पर भी निर्भर करता है।  यद्यपि ,आधुनिक युग मशीनीकरण का युग है ,स्वचालित मशीनों तथा यंत्रों का विकास हो रहा है परन्तु बिना मानवीय प्रयत्नों  के कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता है। इसका कारण यह है की उत्पादन के संसाधनों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है। 1 - भौतिक संसाधन जैसे भूमि ,कच्चा माल ,मशीनें व उपकरण एवं पूँजी आदि तथा। 2 - मानवीय संसाधन - जैसे श्रम शक्ति ,साहस , कुशलता  एवं प्रबन्ध।  ये सभी संसाधन अपने अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है किन्तु मानवीय संसाधनों की विशेषता यह है की ये उत्पादन के अन्य संसाधनों को एकत्रित करते है ,उनमे पर्याप्त समन्वय बनाये रखते है ,उपक्रम का संगठन करते है ,क्रियाओं का मार्गदर्शन व निर्देशन करते है एवं समस्त क्रियाओं पर नियंत्रण रखते है मानवीय संसाधनों के आभाव ,में अन्य सभी संसाधन मृत प्राय होते है।  मानवीय श्रम ही उनमे सक्रियता का संचार करता है। इसके अतिरिक्त ,मानवीय संसाधनों की विशेषता का एक पहलू यह भी है की एक संगठन के मानवीय संसाधन ही केवल ऐसी सम्पदा है जिन्हे यदि सही वातावरण उपलब्ध कराया जाये तो वे साल दर साल विकास करते है जबकि दूसरी सभी सम्पदाओं ( भूमि सहित ) का ह्रास होता है। इसलिए प्रायः किसी संगठन का सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण संसाधन उसके लोगों कोही कहा जाता है। इस दृष्टि से हम मानवीय संसाधनों को उत्पादन की आत्मा कह सकते है तथा इनके बिना संगठन का अस्तित्व कुछ भी नहीं है।
         
                            अतः संगठनात्मक प्रभावोत्पादकता को बनाये रखने हेतु मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम प्रबंध करना अत्यन्त आवश्यक है , किन्तु यह एक अत्यन्त ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।  क्योकि मानव प्रकृति में गत्यात्मकता का अतिशय समावेश होता है।


                          आधुनिक प्रबंधकों का यह एक प्रमुख कर्तव्य है कि वे लोगो के माध्यम से कार्य को सम्पादित करे।  दूसरे शब्दों में लोगो से कार्य करवाना किसी प्रबंधक का प्रमुख कार्य होता है।   मानव संसाधन प्रबन्धन  कार्य करवाने की कला का केंद्र बिंदु है।  इस प्रकार , मानवीय संसाधनों के प्रशासन एवं प्रबंधन से सम्बन्धित विज्ञान ही मानव संसाधन प्रबंधन के नाम से जाना जाता है। आज के बदलते हुए प्रबंधकीय वातावरण में मानव संसाधन प्रबंधन की एक प्रमुख भूमिका है।


          मानव संसाधन प्रबंधन का अर्थ एवं परिभाषएं ---

      मानव संसाधन प्रबंधन शब्द का अधिकाधिक प्रयोग एक संगठन में लोगो के प्रबन्ध सम्बन्धी दर्शन , नीतियों , प्रक्रियाओं , तथा कार्यान्वयन के अर्थ में किया जाता है।  मानव संसाधन प्रबंधन ,प्रबन्ध प्रक्रिया का एक भाग हैषायें -- जो किसी संगठन के अंतर्गत मानवीय संसाधनों के प्रबंध से सम्बन्धित होता है। यह लोगो के हार्दिक सहयोग द्वारा उनका सर्वोत्तम योगदान प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।  संक्षेप में , यह किसी संगठन के लक्ष्यों को प्रभावशाली एवं कुशलतापूर्ण  ढंग से प्राप्त करने हेतु सक्षम श्रम शक्ति को प्राप्त करने , विकसित करने तथा अनुरक्षित करने की कला के रूप में परिभाषित किया  जा सकता है।  दूसरे शब्दों में मानव संसाधन प्रबंधन कर्मचारियों तथा संगठन दोनों की प्रभावकारिता को उच्चतम बिंदु तक ले जाने के उद्देश्य से अभिकल्पित एवं कार्यान्वित कार्यक्रमों ,प्रकार्यों तथा क्रियाकलापों के एक समुच्चय से सम्बंधित होता है।  विभिन्न विद्वानों द्वारा इसे अपने अपने दृष्टिकोण से परिभाषित किया है।  कुछ प्रमुख परिभाषाये इस प्रकार है -----

     1.  Randall S. Schuler -  के अनुसार मानव संसाधन प्रबंधन के अंतर्गत वे सभी प्रबंधकीय निर्णय तथा कार्यान्वयन सम्मिलित है , जो लोगो अथवा मानवीय संसाधनों पर प्रत्यक्षतः असर या प्रभाव डालते है , जोकि किसी संगठन के लिए कार्य करते है। हल के वर्षो में , संगठन मानवीय संसाधनों का प्रबंधन कैसे करे ,इसके विषय में ध्यानाकर्षण के प्रति समर्पण का भाव उत्पन्न हुआ है। यह ध्यानाकर्षण इस अनुभूति से आया है की  संगठन के कर्मचारी उस संगठन को उसके लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु समर्थ बनाते है। तथा इन मानवीय संसाधनों का का प्रबन्ध एक संगठन की सफलता के लिए निर्णायक होता है।  ( 1990 ,पृ. 49-60 )

  2. David A. DeCenzo and Stephen P. Robbins -  के अनुसार मानव संसाधन प्रबन्धन प्रबन्ध में लोगो के आयाम से सम्बंधित होता है चूँकि प्रत्येक संगठन व्यक्तियों से निर्मित होता है , इसलिए उनकी सेवाओं की प्राप्ति , उनके कौशल में वृद्धि , निष्पादन के उच्च स्तरों के लिए उन्हें अभिप्रेरित करना तथा यह सुनिश्चित करना की वे संगठन के प्रति अपनी वचनबध्यता  को बनाये रखे , संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है।  यह प्रत्येक प्रकार के संगठन के विषय में सत्य प्रतीत होता है , चाहे वह - सरकारी ,व्यापारिक ,शैक्षणिक ,स्वास्थ्य , मनोरंजनात्मक  अथवा सामाजिक कार्य से सम्बंधित हो ( 1989 पृ. 3 )

 3. Wendell  French - के अनुसार मानव संसाधन प्रबंधन एक क्रमबद्ध नियोजन तथा आधारभूत  संगठनात्मक प्रक्रियाओं के एक जाल का नियंत्रण है , जो संगठन के सभी सदस्यों को प्रभावित एवं सम्बद्ध करता है।  इन प्रक्रियाओं में मानव संसाधन नियोजन , कृत्य एवं कार्य अभिकल्प ,कार्य विश्लेषण , कर्मचारी व्यवस्था , प्रशिक्षण एवं विकास , निष्पादन मूल्यांकन एवं पुनरीक्षण क्षतिपूर्ति एवं पुरस्कार ,कर्मचारीयों का संरक्षण एवं प्रतिनिधित्व तथा संगठन में सुधार सम्मिलित है ( 1997 पृ. 17 )

 4. J.M. Ivancevich  and W.F. Glueck - के अनुसार  मानव संसाधन प्रबंधन संगठनात्मक एवं व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु लोगो के अत्यधिक प्रभावी उपयोग करने से सम्बंधित है।  यह लोगो का कार्य पर प्रबन्धन करने का ढंग है , ताकि वे संगठन को अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें ( 1990 )

 5. P. Subba Rao - के अनुसार साधारण अर्थ में मानव संसाधन प्रबन्धन  तात्पर्य लोगो को सेवायोजित करना ,उनके संसाधनों को विकसित करना तथा उनकी सेवाओं का उपयोग ,अनुरक्षण एवं क्षतिपूर्ति कार्य एवं संगठनात्मक आवश्यकताओं के साथ तालमेल बिठाते हुए करना है। ( 1996 पृ 7 )

 6. Stephen P. Robbins - के अनुसार मानव संसाधन प्रबंधन एक प्रक्रिया है जो चार गतिविधियों से बानी हुई है - मानवीय संसाधनों की प्राप्ति , उनका विकास , उनका अभिप्रेरण तथा उनका अनुरक्षण।  ( 1982 पृ 11 ) 





 मानव संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ -- उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन से मानव संसाधन प्रबंधन की जो विशेषताएं सामने आती है ,उनमे से कुछ प्रमुख का उल्लेख इस प्रकार है -

  1. मानव संसाधन प्रबंधन ,प्रबन्ध की एक विशेषीकृत शाखा है ,जिसका सम्बन्ध उत्पादन के एक बहुमूल्य संसाधन मानव शक्ति से है। 
  2. मानव संसाधन प्रबंधन का सम्बन्ध समस्त प्रकार के संगठनों जैसे व्यावसायिक गैर व्यावसायिक ,राजकीय ,वित्तीय तथा विपणन आदि से होता है। 
  3. मानव संसाधन प्रबंधन ,प्रबंधकों की संगठन के सदस्यों  की भर्ती चयन प्रशिक्षण तथा विकास में सहायता करता है। 
  4. मानव संसाधन प्रबंधन ,प्रकृति से व्यापक है। यह एक संगठन के प्रबंध के सभी स्तरों ( निम्न ,मध्यम ,एवं उच्च ) तथा सभी श्रेणी के कर्मचारियों ( कुशल अथवा अकुशल श्रमिक ,फोरमैन तकनीशियन ,लिपिक विक्रयकर्ता एवं कार्यालय कर्मचारीगण आदि  ) में व्याप्त होता है।  
  5. मानव संसाधन प्रबंधन एक निरंतर चलने वाली तथा कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। 
  6. मानव संसाधन प्रबंधन मानवीय संसाधनों की योग्यता ,कौशल , सामर्थ्य एवं व्यक्तित्व के विकास की कला है। 
  7. मानव संसाधन प्रबंधन संगठन एवं   व्यक्तिगत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लोगों के अत्यधिक प्रभावी उपयोग  करने से सम्बंधित है। 
  8. मानव संसाधन प्रबंधन का उद्देश्य कार्यरत  व्यक्तियों को अधिकतम कार्य संतुष्टि प्रदान करना है जिससे की वे संगठन को अपना सर्वोत्तम योगदान दे सके ताकि संगठन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त परिणाम प्राप्त किये जा सके। 
  9. मानव संसाधन प्रबंधन  अंतर्गत कुछ निश्चित विश्वासों , सिद्धांतों , दर्शन कार्य योजनाओं  व्यवहारों का पालन किया जाता है। 
  10. मानव संसाधन प्रबंधन एक संगठन के अंतर्गत कार्यरत लोगो के वैयक्तिक एवं सामूहिक दोनों स्वरूपों से सम्बंधित होता है। 
  11. मानव संसाधन प्रबंधन कर्मचारियों की भर्ती ,चयन, प्रशिक्षण एवं विकास तथा उचित वेतन नीतियों की एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से अभिप्रेरित करता है। 
  12. मानव संसाधन प्रबंधन कर्मचारियों को अपनी अंतःशक्ति विकसित करने तथा अपनी क्षमताओं का अधिकतम सदुपयोग करने में सहयोग करने से सम्बन्धित होता है जिससे कि संगठनात्मक प्रभावशीलता में वृद्धि की जा सके। 
  13. मानव संसाधन प्रबंधन संगठन के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर कार्यरत लोगो के बीच सौहार्दपूर्ण  संबंधों के निर्माण एवं उनके अनुरक्षण करने का प्रयत्न करता है। 
इस प्रकार ,  संक्षेप में यह कहा जा सकता है। कि मानव संसाधन प्रबंधन ,प्रबन्ध की वह शाखा है जो एक संगठन के अंतर्गत लोगो की भर्ती ,चयन प्रशिक्षण एवं विकास ,उपयोग एवं अनुरक्षण करने के साथ ही उन्हें नियोजित संगठित ,नियंत्रित , अभिप्रेरित एवं निर्देशित करने से सम्बन्धित है।  यह मानवीय संसाधनों के अधिकतम प्रभावी उपयोग करने सम्बन्धी नीतियों पद्धतियों व् व्यवहारों को सुनिश्चित करने का एक ढंग है 

मानव संसाधन प्रबन्धन के उद्देश्य - मानव संसाधन प्रबंधन का प्राथमिक उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए योग्य ,इच्छुक एवं अभिप्रेरित मानव शक्ति ( श्रम शक्ति ) की उपलब्धता को सुनिश्चित करना तथा उसका प्रभावी उपयोग करना है।  जिसकी प्राप्ति अन्य उद्देश्यों के माध्यम से की जाती है।  उनका विवरण निम्नलिखित प्रकार से है।  
  1. संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु योग्य ,कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों का चयन करना। 
  2. नव नियुक्त  कर्मचारियों को कार्य एवं संगठन के विषय में समुचित जानकारी एवं प्रशिक्षण प्रदान करना। 
  3. समुचित एवं न्यायपूर्ण मजदूरी , प्रेरणाएं ,कर्मचारी लाभ ,कल्याण योजनाओं , सामाजिक सुरक्षा , चुनौतीपूर्ण कार्यों के लिए मनको तथा वैयक्तिक मूल्यों , जैसे प्रतिष्ठा ,मान्यता , सुरक्षा एवं स्तर आदि के द्वारा वैयक्तिक एवं सामूहिक आवश्यकताओं का अभिनिर्धारण एवं उनकी पूर्णरूपेण संतुष्टि प्रदान करना। 
  4. प्रशिक्षण एवं विकासात्मक कार्यक्रमों को उपलब्ध कराते हुए मानवीय सम्पदा को निरंतर दृढ़ता प्रदान करना तथा उसका मूल्यांकन करना ,जिससे संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उनका प्रभावकारी उपयोग करने में सफलता प्राप्त की जा सके। 
  5. सुदृढ़ संगठनात्मक ढांचे एवं संगठन के सभी सदस्यों के बीच इच्छित कार्य सम्बन्धो को स्थापित करना तथा उसे बनाये रखना। 
  6. वैयक्तिक एवं सामूहिक लक्ष्यों का संगठन के साथ समन्वय स्थापित कर संगठन  अंतर्गत वैयक्तिक एवं सामूहिक एकीकरण  को सुरक्षित करना। 
  7. वैयक्तिक एवं सामूहिक विकास के लिए सुविधाओं तथा अवसरों को इस प्रकार से उत्पन्न करना ,ताकि वे संगठन के विकास से मेल खायें। 
  8. विभिन्न परिस्थितियों एवं सुविधाओं को बनाये रखते हुए तथा उनमे सुधर करते हुए उच्च कर्मचारी मनोबल एवं सुदृढ़ मानवीय सम्बन्धो का पोषण करना। 
  9. कर्मचारियों में होने वाले मन मुटावों  एवं मतभेदों के कारणों को ज्ञात करने ,दूर करने तथा उनमे भाईचारा बनाये रखने का प्रयास करना ,जिससे कि उनके बीच टीम भावना का विकास हो सके। 
  10. कर्मचारियों की उत्पादकता को बढ़ने हेतु प्रेरणात्मक योजनाओं पर निरंतर विचार करना तथा उन्हें लागू करना। 
  11. प्रबंधकीय निर्णयों में सहायता हेतु कर्मचारी व्यवहार  का अनुसंधान करना तथा साथ ही कर्मचारियों को प्रबंध में विचार अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान करना। 
  12. सामाजिक आर्थिक बुराइयों जैसे बेरोजगारी ,अर्द्ध बेरोजगारी ,आय एवं धन के आसमान वितरण आदि को कम करने के लिए विचार करना एवं सहायता करना तथा महिलाओं एवं समाज के लाभ विहीन वर्गों के लिए रोजगार के अवसरों का प्रबन्ध करते हुए समाज कल्याण में उन्नति करना। 
  13. रोजगार की स्थिरता को बनाये रखने हेतु सुविधाओं एवं कार्य की शर्तों को प्रदान करना तथा अनुकूल वातावरण को उत्पन्न करना 
  14. समुचत ,स्वीकार्य एवं कार्य कुशल नेतृत्व की व्यवस्था करना। 
  15. कर्मचारियों की कार्य संतुष्टि तथा आत्म यथार्थिकरण को पूर्ण रूप से बढ़ाना 
  16. कार्य की गुणवत्ता का विकास करना तथा उसे बनाये रखना।  
  17. मानव संसाधन नीतियों की सूचना सभी स्तर के कर्मचारीयों को प्रदान करना। 
  18. आचरण अथवा अनुशासन सम्बन्धी नीतियों एवं व्यवहारों को बनाये रखने में सहायता करना।  














          

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