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मानव संसाधन नियोजन की अवधारणा ,परिभाषा एवं विशेषताएं

 मानव संसाधन नियोजन की अवधारणा ,परिभाषा एवं विशेषताएं 

मानव संसाधन नियोजन - कर्मचारियों की भर्ती से पूर्व मानवीय संसाधनों की आवश्यकता को कर्मचारियों की योग्यताओं तथा किसी अवधि विशेष में ोर्टएक प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यक संख्या के विशेष सन्दर्भ में विश्लेषित किया जाना अनिवार्य होता है।  इसमें किसी संगठन के लिए आवश्यक लोगो की संख्या का एक पूर्वानुमान सम्मिलित होता है। यह कार्य , जो की सामान्य रूप से मानव संसाधन नियोजन के रूप में जाना जाता है ,मानव संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत एक प्रमुख उत्तरदायित्व होता है।
                 वास्तविक मानव संसाधन प्रबन्धन प्रक्रिया भावी समयावधि के दौरान लोगो की संख्या तथा उनके प्रकार की आवश्यकता के पूर्वानुमान के साथ प्रारम्भ होती है।  केवल इसी के बाद ,लोगो कोण किसी संगठन के अन्तर्गत रिक्त स्थानों की पूर्ति हेतु सेवायोजित किया जा सकता है। इस प्रकार मानव संसाधन नियोजन ,एक सफल मानव संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम के अंतरगत एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक तथा निर्णायक चरण होता है
                मानव संसाधन नियोजन ,संगठनात्मक लक्ष्यों के परिपेक्ष्य में संगठन की मानवीय संसाधन आवश्यकताओं का आंकलन करने तथा यह सुनिश्चित करने कि एक सक्षम एवं स्थायी श्रम शक्ति सेवायोजित की गयी है ,के लिए योजना बनाने की प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों के मध्य एवं वाहय  श्रम बाजार में निपुणता स्तरों का ,वर्तमान एवं अपेक्षित कार्य अवसरों का ,संगठन में सर्वत्र कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि करने अथवा कम करने हेतु योजनाओं का तथा वाह्य क़ानूनी  वातावरण का एक विश्लेषण सम्मिलित होता है।  अतएव। मानव संसाधन नियोजन की प्रक्रिया कर्मचारी व्यवस्था प्रक्रिया से घनिष्ट रूप से सम्बंधित होती है तथा संगठन की सम्पूर्ण सामरिक महत्त्व की योजनाओं पर भी आश्रित होती है
               मानव संसाधनों के लिए नियोजन किसी अन्य संसाधन के लिए नियोजन की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योकि बाद के लिए आवश्यकता पूर्व के आकार एवं संरचना पर निर्भर करता है। चाहे यह एक राष्ट्र में हो ,या फिर एक उद्योग में।  वस्तुतः यह अधिकतर दूसरे कार्यों के लिए आधार होता है।
  • मानव संसाधन नियोजन का अर्थ एवं परिभाषायें 
साधारण शब्दों में मानव संसाधन  नियोजन को एक संगठन के भविष्य की मानवीय संसाधन आवश्यकताओं एवं उसकी पूर्ति के सम्बन्ध में पूर्वानुमान की एक प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है।  दूसरे शब्दों में मानव  संसाधन नियोजन कर्मचारियों की आवश्यकता ,उनकी प्राप्ति के स्त्रोतों  का पता लगाने ,उनको प्राप्त करने ,उनका विकास करने तथा उनका उपयोग एवं अनुरक्षण करने के विषय में पूर्वानुमान की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा उचित संख्या में उचित स्थानों पर ,उपयुक्त व्यक्तियों का समुचित उपयोग किया जाना सुनिश्चित किया जाता है। 
           इस प्रकार मानव संसाधन नियोजन एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत संगठन के मानवीय संसाधनों की व्याख्या एवं भावी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान प्रस्तुत किया जाता है।  कर्मचारियों की व्यवस्था सम्बन्धी नीति इसी  पूर्वानुमान पर आधारित होती है। केवल यही वह प्रक्रिया है जिसके पश्चात् मानव संसाधन प्रबन्धन विभाग एक भर्ती एवं चयन की प्रक्रिया को प्रारम्भ कर सकता है ,मानव संसाधन नियोजन सम्पूर्ण संगठनात्मक नियोजन के अंतर्गत एक उप प्रणाली होता है। इसे मानव शक्ति नियोजन अथवा कार्मिक नियोजन अथवा रोजगार नियोजन भी कहा जाता है मानव संसाधन नियोजन के विषय में विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित प्रकार है -
  1. David  A. DeCenzo and Stephen P. Robbins - के अनुसार विशिष्ट रूप से मानव संसाधन नियोजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक संगठन यह सुनिश्चित करता है कि उसके पास उचित समय ,पर उचित स्थान परी , उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के लोग  है जो कि उन नियत कार्यों ,जो कि संगठन को इसके समस्त उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता करेंगें ,को प्रभावी रूप से एवं कुशलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए योग्य है। अतएव मानव संसाधन नियोजन ,संगठन के उद्देश्यों एवं योजनाओं को ,उन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कर्मचारियों की आवश्यक संख्या के सन्दर्भ में स्पष्ट करता है। एक स्पष्ट नियोजन के बिना किसी संगठन की मानवीय संसाधन आवश्यकता का आंकलन अटकल मात्र होता है।  ( 1989 . पृ. 79 )
  2. Edwin B. Geisler के अनुसार  संसाधन नियोजान एक ऐसी प्रक्रिया है ,( जिसमें पूर्वानुमान करना ,कार्यान्वित करना ,तथा नियंत्रण करना सम्मिलित है ) जिसके द्वारा एक संगठन यह सुनिश्चित करता है कि उसके पास उचित समय पर उचित स्थान पर ,उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के लोग उन कार्यों को सम्पादित करने हेतु उपलब्ध है ,जिनके लिए वे आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक उपयोगी है। ( 1967 )
  3. Edwin B. Flippo - के अनुसार मानव संसाधन नियोजन का अभिप्राय यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में किसी अवधि विशेष में समुचित निपुणताओं से युक्त लोगों की एक निश्चित इच्छित संख्या उपलब्ध होंगी।( 1987 . पृ. 125 ) 
  4. Gorden McBeath - के अनुसार मानव संसाधन नियोजन के अंतर्गत दो चरण सम्मिलित है।  प्रथम चरण मानव संसाधन आवश्यकताओं के नियोजन तथा द्वितीय चरण मानवीय संसाधनों की पूर्ति के नियोजन से सम्बन्धित है।  (1969 पृ. 55 )
  5. Eric W. Vetter - के अनुसार मानव संसाधन नियोजन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबन्धन यह सुनिश्चित करना है की संगठन को किस प्रकार के कदम उठाने चाहिए कि वह अपनी वर्तमान मानव संसाधन स्थिति से इच्छित मानव संसाधन स्थिति की ओर गतिमान हो जाये।  नियोजन  माध्यम से वह उचित समय पर ,उचित स्थान पर उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के लोगों के कार्यों को सम्पादन करने हेतु रखने का प्रयत्न करता है ,जिससे संगठन एवं व्यक्तियों दोनों को ही अधिकतम दीर्घकालीन लाभ की प्राप्ति होती है ( 1967 पृ. 15 ) 
मानव संसाधन नियोजन की विशेषताएं -

 मानव संसाधन नियोजन के विषय में उपरोक्तलिखित विवेचना के विश्लेषण जो विशेषताएँ सामने आती है उनमें से कुछ प्रमुख का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार से है :
  1. मानव संसाधन नियोजन ,मानव संसाधन प्रबन्धन का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग है। 
  2. मानव संसाधन नियोजन के अंतर्गत मानवीय संसाधनों की आवश्यकता एवं उसकी पूर्ति  में समन्वय स्थापित किया जाता है तथा साथ ही उनको विकसित करने ,उनका उपयोग करने एवं उनका अनुरक्षण करने का प्रयास किया जाता है 
  3. मानव संसाधन नियोजन ,पूर्वानुमान करने की एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक संगठन यह सुनिश्चित करता है कि उसके पास उचित समय पर ,उचित स्थान पर ,उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के लोग कार्यों को सम्पादित करने हेतु उपलब्ध है। 
  4. मानव संसाधन नियोजन का लक्ष्य योग्य कर्मचारियों की निरन्तर पूर्ति द्वारा एक संगठन के स्थायित्व एवं प्रगति में योगदान देना है। 
  5.   मानव संसाधन नियोजन , सम्पूर्ण संगठनात्मक  नियोजन के अंतर्गत एक उप प्रणाली होता है। 
इस प्रकार ,हम यह निष्कर्ष  यह कह सकते है की मानव संसाधन नियोजन एक संगठन के सन्दर्भ में मानवीय संसाधनों की व्याख्या एवं भावी आवश्यकता का पूर्वानुमान करने तथा उसकी पूर्ति के मध्य उचित समन्वय बनाये रखने की प्रक्रिया है ,जिससे की संगठन हेतु उचित समय पर ,उचित स्थान पर ,तथा उचित  प्रकार के कर्मचारियों का समुचत उपयोग किया जा सके। 

मानव संसाधन नियोजन के उद्देश्य  - मानव संसाधन नियोजन का प्रधान उद्देश्य मानवीय संसाधनों की आवश्यकता का पूर्वानुमान करना तथा उनकी पूर्ति पर नियंत्रण स्थापित करना है।  इसके अन्य उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार से है
  1. संगठन की भर्ती एवं चयन सम्बन्धी नीति निर्माण में सहायता प्रदान करना ,जिसमे कम लागत में श्रेष्ठ कर्मचारियों की प्राप्ति को सुनिश्चित किया जा सके। 
  2. मानवीय संसाधनों के आधिक्य अथवा आभाव का निर्धारण करना तथा तदनुसार उपायों को अपनाना। 
  3. मानव संसाधन नियोजन को सम्पूर्ण संगठनात्मक नियोजन के साथ जोड़ना। 
  4. कर्मचारियों की निपुणता ,ज्ञान ,योग्यताओं ,तथा अनुशासन से सम्बन्धित आवश्यकताओं का पूर्वानुमान करना तथा उनमे सुधर करना। 
  5. संगठन के अंतर्गत उचित समय पर ,उचित स्थान पर ,उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण उत्पन्न असन्तुलन को कम करना। 
  6. संगठन के लिए आवश्यक कर्मचारियों की संख्या तथा योग्यता के अनुसार उनकी भर्ती करना तथा उनका अनुरक्षण करना। 
  7. संगठन के मानवीय संसाधनों का अनुकूलतम तथा सर्वोत्तम उपयोग करना। 
  8. मानवीय संसाधनों के मूल्य लागत का आंकलन करना 
  9. कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण एवं विकास की आवश्यकताओं का निर्धारण करना तथा साथ ही प्रबन्ध  विकास कार्क्रमों के लिए आधार स्थापित करना।  
  10. प्रौद्योगिकी का कार्य विद्यमान कर्मचारियों तथा भविष्य की मानवीय संसाधन आवश्यकता पर पड़ने वाले प्रभाव का पूर्वानुमान करना। 
  11. बदलती हुई अर्थव्यवस्था की आवश्यकता के अनुरूप मानवीय संसाधनों का प्रबंधन सम्भव बनाना।  
  12. नवीन परियोजनाओं के लिए मानवीय संसाधनों की लागत का आंकलन करना। 
  13. संगठन के अंतर्गत कर्मचारी परिवर्तन का पूर्वानुमान करना , उसको न्यूनतम करने हेतु व्यवस्था करना तथा रिक्त पदों को भरना। 
  14. संगठन के अंतर्गत विकास एवं विवेकीकरण के कार्यक्रमों की आवश्यकता की पूर्ति करना। 
  15. संगठन के विभिन्न भागों एवं क्षेत्रो में मानवीय संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करना। 
   मानव संसाधन नियोजन का क्षेत्र - मानव संसाधन नियोजन एक व्यापक एवं सतत प्रक्रिया है ,जिसमे वर्तमान एवं भावी मानवीय संसाधन आवश्यकता तथा उनकी प्राप्ति के स्रोतों का विश्लेषण निहित है। इसके क्षेत्र के अंतर्गत प्रमुख रूप से निम्नलिखित बातें सम्मिलित होती है : 
  1. संगठन के अंतर्गत नियुक्त  वर्तमान मानवीय संसाधनों की गणना ,विश्लेषण एवं मूल्यांकन के माध्यम से वास्तविक स्थिति को ज्ञात करना। 
  2. संगठन की भावी योजनाओं राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में प्रचलित प्रवृत्तियों उद्योगों में हो रहे परिवर्तनों संगठन की विकास दर तथा श्रम बाजार की प्रकृति आदि पहलुओं को ध्यान में रखते हुए संगठन की भावी मानवीय संसाधन आवश्यकता का पूर्वानुमान करना 
  3.  वर्तमान मानवीय संसाधनों की भावी मानवीय संसाधन आवश्यकता के साथ तुलना करते हुए रिक्त पदों तथा उनके लिए अनिवार्य योग्यताओं का निर्धारण करना। 
  4. मानवीय संसाधन आवश्यकता कर्मचारियों की प्राप्ति के स्रोतों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हुए उन्हें निर्धारित करना। 
  5. मानवीय संसाधन आवश्यकता को पूरा करने हेतु कर्मचारियों की भर्ती चयन ,प्रशिक्षण एवं विकास आदि के कार्यक्रम तैयार करना। 

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