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लोक प्रशासन के क्षेत्र की विवेचना कीजिये एवं पोस्डकॉर्ब से आप क्या समझते है


   लोक प्रशासन के क्षेत्र की विवेचना कीजिये  एवं पोस्डकॉर्ब से आप क्या समझते है 

 लोक प्रशासन का क्षेत्र  - 
लोक प्रशासन एक गतिशील एवं निरंतर विकासशील विषय है।  एक क्रमबद्ध एवं विकसित ज्ञान के रूप में इसका निरंतर विकास हो रहा है।  राज्य के कार्य क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि के परिणाम स्वरूप लोक प्रशासन के दायित्व में निरंतर वृद्धि हो रही है इन परिस्थितियों में लोक प्रशासन के क्षेत्र एवं सीमांकन एक जटिल कार्य यही कारण है कि इस संदर्भ में विद्वानों में मतैक्य नहीं है लोक प्रशासन के क्षेत्र में संबंध में सामान्यतया 4 दृष्टिकोण प्रस्तुत किए जाते हैं .
1. व्यापक दृष्टिकोण
2. संकुचित दृष्टिकोण
3. पोस्डकॉर्ब  दृष्टिकोण
4. लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण
5. पोक पोक दृष्टिकोण
6. आधुनिक दृष्टिकोण

व्यापक दृष्टिकोण- व्यापक दृष्टिकोण रखने वाले विद्वानों के मान्यतानुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र में सरकार के तीन विभाग यथा व्यवस्थापिका कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के कार्य सम्मिलित किए जाते हैं । इस दृष्टिकोण का समर्थन करने वाले प्रमुख विद्वान विलोबी मार्क्स नीग्रो एवं एल डी ह्वाइट आदि मार्च के शब्दों में अपने व्यापक क्षेत्र में लोक प्रशासन के अंतर्गत सार्वजनिक नीति से संबंधित समस्त क्रियाएं आती है इसी प्रकार विरोधी ने भी लिखा है कि अपने व्यापक अर्थ में लोक प्रशासन उस कार्य का प्रतीक है जो कि सरकारी कार्यों के वास्तविक संपादन से संबंध होता है चाहे वह कार्य सरकार की किसी भी शाखा से संबंधित क्यों ना हो
अन्य विद्वानों के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर लोक प्रशासन का अध्ययन व्यावहारिक है सरकार के तीनों अंगों के कार्य तक विस्तृत कर देने पर लोक प्रशासन का उद्देश्य एवं विशिष्टता समाप्त हो जाती है

संकुचित दृष्टिकोण- संकुचित दृष्टिकोण के समर्थक विद्वान लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र सरकार की कार्यपालिका शाखा तक ही सीमित मानते हैं कार्यपालिका द्वारा अपनाई गई नीति को क्रियान्वित करने का दायित्व लोक प्रशासन का होता है इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक लूथर गुलिक एवं साइमन आदि है लोक प्रशासन के क्षेत्र के संबंध में यह संकुचित दृष्टिकोण ही व्यापक दृष्टिकोण की अपेक्षा अधिक मान्य हैं ।

पोस्डकॉर्ब  दृष्टिकोण - सर्वप्रथम पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण  को हेनरी फेयोल एवं उर्विक आदि विद्वानों ने अपनाया किंतु पोस्डकार्ब दृष्टिकोण को सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय लूथर गुलिक को दिया जाता है लोक प्रशासन के कार्य क्षेत्र की परिधि में आने वाले 7 कार्यों को अंग्रेजी के 7 शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है तथा इन 7 शब्दों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर पोस्टकार्ड बनता है अंग्रेजी के यह 7 शब्द जिनसे लोग प्रशासन की क्रियाओं का बोध होता है निम्नलिखित हैं -

P - Planning - योजना बनाना
O  - Organizing -  संगठन स्थापित करना
S - Staffing - कर्मचारियों की व्यवस्था करना
D - Directing - निर्देशन करना
Co - Co-ordination -  समन्वय स्थापित करना
R -  Reporting - प्रतिवेदन प्रस्तुत करना
B -  Budgeting - बजट तैयार करना

इन समस्त क्रियाओं की विवेचना निम्नलिखित रुप में प्रस्तुत की जा सकती है।

योजना बनाना, नियोजन या योजना बनाने से तात्पर्य है कार्य करने से पूर्व उसकी रूपरेखा का निर्धारण करना है इस संबंध में ध्यान रखने योग्य प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं योजना निर्माण का लक्ष्य अपनाई जाने वाली नीति ,योजना पूर्ति हेतु आवश्यक साधन तथा उन साधनों की पूर्ति के तरीके योजना की समयावधि व संचालन आदि।  रुपरेखा निर्धारण में दक्ष व विशेषज्ञ व्यक्तियों की भूमिका अहम होनी चाहिए। 

संगठन स्थापित करना. निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु संगठन स्थापित करना अनिवार्य होता है संगठन इस प्रकार का होना चाहिए कि उसमें कार्यों का विभाजन उचित प्रकार से हो सके प्रत्येक कर्मचारी को निश्चित समय अवधि में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। जिसके साथ ही कर्मचारियों के कार्यों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए। 

कर्मचारियों की व्यवस्था करना. कौशल नियोजन एवं संगठन का उस समय तक कोई महत्व नहीं होता है जब तक कि उसके निष्पादन करता अपनी भूमिका का निर्वाह निष्ठा पूर्वक एवं कुशलता पूर्वक ना करते हुए लोक प्रशासन की सफलता कुशल लोक सेवकों पर ही निर्भर करती है इसमें कर्मचारियों के चयन प्रशिक्षण पदोन्नति एवं वेतन वृद्धि आदि का अध्ययन किया जाता है। 

निर्देशन करना . उचित निर्देशन के अभाव में प्रशासन की सफलता संदिग्ध रहती है नीति निर्धारकों के द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को कार्य से संबंधित आवश्यक निर्देश दिए जाते हैं जिससे वह अपने अपने क्षेत्रों में दायित्वों का प्रतिपादन उचित रीति से करते हुए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्त कर सकें। 

समन्वय स्थापित करना . प्रशासन एक सामूहिक प्रक्रिया है , अतः विभिन्न कर्मचारियों एवं उनके विभागों के मध्य समन्वय स्थापित किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है समन्वय के माध्यम से ही विभिन्न स्तरों विभागों एवं कार्मिकों की परस्पर सम्बद्धता एवं आश्रिता प्रमाणित होती है।  समन्वय स्थापित करके ही संघर्ष से बचा जा सकता है। 

प्रतिवेदन प्रस्तुत करना . लोक प्रशासन अपने विभिन्न विभागों की प्रगति के संबंध में व्यवस्थापिका को समय-समय पर सूचित करता रहता है।  जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासकीय कार्यो की प्रगति की सूचनाएं जनता तक पहुंचती है।  प्रतिवेदन का उद्देश्य निम्न कर्मचारियों के कार्यों के संबंध में निरीक्षण अधिकारियों को सूचित करना होता है। 

बजट तैयार करना . बजट तैयार करना या वित्तीय प्रशासन से तात्पर्य है वित्तीय नियोजन आय-व्यय का लेखा रखना प्रशासकीय विभागों पर वित्तीय साधनों द्वारा नियंत्रण स्थापित रखना आदि बजट प्रशासनिक व्यवस्था का प्राण है। 

पोस्डकॉर्ब  विचार की आलोचना -  पोस्ट कार विचार की आलोचना अनेक आधारों पर की जाती है इनमें से कुछ प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं -

 1.  पोस्डकॉर्ड क्रियाएं समूचे प्रशासन की प्रतिनिधि नहीं है।  अतः दृष्टिकोण संकीर्ण है।

 2. ल्यूइस मेरियम के अनुसार पोस्डकॉर्ब  विचार में " पाठ्य  विषय का ज्ञान " तत्व की पूर्ण उपेक्षा कर दी गई है।  उन्हीं के शब्दों में लोक प्रशासन एक कैंची की भांति दो फलकों  वाला एक यंत्र होता है।  इस यंत्र का एक भाग पोस्डकार्ब के अंतर्गत आता है। और दूसरे भाग में विषय वस्तु का ज्ञान समाविष्ट होता है।  कुशल प्रशासन के लिए यह आवश्यक है कि यह दोनों भाग ठीक प्रकार से कार्य करें।

3. इसमें लोक कल्याण की भावना की पूर्ण अवहेलना की गई है

4. लोक प्रशासन के अंतर्गत कार्यरत व्यक्तियों की मनोदशाओ  स्वभावओ  महत्वाकांक्षाओं एवं पारस्परिक संबंधों आदि का प्रभाव भी संगठन पर पड़ता है।  किंतु पोस्डकॉर्ब  विचारधारा में मानवीय तत्व की भी उपेक्षा की गई है। 
5. सामाजिक व सांस्कृतिक परिस्थितियों के अध्ययन की और भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

 6. पोस्डकॉर्ब विचारधारा में सैद्धांतिकता पर अधिक बल दिया गया है।  तथा व्यावहारिक पक्ष की उपेक्षा की गई है। 

लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण - इसे  "आदर्शवादी दृष्टिकोण " भी कहा जाता है।  इस दृष्टिकोण की  मान्यतानुसार आधुनिक प्रशासन लोक कल्याणकारी है।  आज लोक प्रशासन सभ्य जीवन का रक्षक मात्र नहीं वरन सामाजिक न्याय व सामाजिक परिवर्तन का भी महान साधन है।  लोक कल्याणकारी राज्य में लोक प्रशासन व्यक्ति के सर्वांगीण कल्याण के लिए कार्यों को संपन्न करता है।  इसमें व्यक्ति के केवल राजनीतिक जीवन का ही नियमन नहीं किया जाता है वरन सामाजिक कल्याण आर्थिक समृद्धि तथा अन्य सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने से संबंधित दायित्व का भी निर्वाह किया जाता है।  संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह दृष्टिकोण व्यक्ति के चहुमुखी विकास को लोक प्रशासन के क्षेत्र में समाहित करता है।

लोक प्रशासन के क्षेत्र से संबंधित उपर्युक्त वर्णन दृष्टि कोणों के अतिरिक्त " व्यवहारवादी दृष्टिकोण " एवं परिवेशीय दृष्टिकोण को भी मान्यता प्रदान की जाती रही है।  व्यवहारवादी दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक एम बी फॉलेट , स्टोक्स , राबर्ट डहल एवं रिंग्स आदि रहे हैं।  इस विचारधारा ने विभिन्न सामाजिक वातावरण में मानवीय व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन पर जोर दिया।  इसके अतिरिक्त परिवेशीय दृष्टिकोण वातावरण में व्याप्त उन सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक नैतिक एवं भौगोलिक आदि प्रभावों को सम्मिलित करता है जिनके बीच लोक प्रशासन कार्य करता है प्रशासनिक क्रियाकलापों को वातावरण से संबद्ध करने की आवश्यकता पर बल देते हुए इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉन गौस  ने किया। 

पोकोक  दृष्टिकोण - हेनरी फेयोल ने पोकोक दृष्टिकोण के आधार पर लोक प्रशासन के कार्यों का निर्धारण किया है इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र में निर्मित कार्य आते हैं। 

 P     - Planning             -   नियोजन करना 
 O    - Organizing         -  संगठन बनाना 
 C    - Commanding     -  आदेश देना 
 Co  - Co-ordination    -  समन्वय करना 
 C    - Controlling        -  नियंत्रण रखना

कास्ट तथा रोजनावेग ने लोक प्रशासन के क्षेत्र को  POC अर्थात P  - Planning ,O - Organizing ,C - Controlling के रूप में स्वीकार किया।

स्टीफन रॉबिन्स ने लोक प्रशासन के क्षेत्र को POLE शब्द के रूप में स्वीकार किया है जिसका अर्थ इस प्रकार हैं -
P - Planning       - योजना बनाना 
O - Organizing   - संगठन बनाना  
L - Leading        - नेतृत्व करना 
E - Evaluating    - मूल्यांकन करना  

आधुनिक दृष्टिकोण - सन 1887 में अपने प्रादुर्भाव के बाद से लोक प्रशासन निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।  राज्य के कार्य क्षेत्र में वृद्धि होने के साथ-साथ प्रशासन का क्षेत्र भी निरंतर विस्तृत होता जा रहा है। पोस्डकॉर्ब  सिद्धांत अब एक परंपरागत दृष्टिकोण बनता जा रहा है क्योंकि आधुनिक समय में लोक प्रशासन के क्षेत्र में नए नए विषय सम्मिलित होते जा रहे हैं।  जैसा कि पोकोक दृष्टिकोण से स्पष्ट है की लोक प्रशासन में नियंत्रण  का अध्ययन भी समाविष्ट किया जाना चाहिए।  उदाहरणार्थ कार्यपालिका ,व्यवस्थापिका ,व न्यायपालिका का एक दूसरे पर नियंत्रण , स्थानीय सरकार पर राज्य व केंद्र का नियंत्रण।
वाकर ने लोक प्रशासन के क्षेत्र निम्नलिखित दस विषयों को सम्मिलित किया है - वैधानिक ,राजनितिक ,सामाजिक ,आर्थिक शैक्षणिक ,वित्तीय , प्रतिरक्षा , स्थानीय शासन , विदेशी एवं साम्राज्य सम्बन्धी। 
आज लोक प्रशासन के क्षेत्र में ग्राम पंचायतों से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार वर्तमान में लोक प्रशासन का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है।













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